ये तस्वीरें महान आंबेडकरवादी लेखिका गेल ओमवेट की अंतिम यात्रा की हैं। गुरुवार को महाराष्ट्र के कासेगांव में ओमवेट साहिबा का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में आंबेडकरवादी उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुँचे थे। उनके पार्थिव शरीर को एक ट्रॉली में रखकर ले जाया गया। इस दौरान लोगों ने जय भीम और लाल सलाम के नारों के साथ गेल साहिबा को आख़िरी विदाई दी।
बड़ी संख्या में अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे लोग
बहुजन समाज अपनी महान विद्वान के अंतिम दर्शनों के लिए दूर-दूर से पहुँचा… गेल साहिबा को बहुजन समाज कितना चाहता था, उसका अंदाज़ा आप इन तस्वीरों से लगा सकते हैं। राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और बाबा साहब डॉ आंबेडकर का परिचय पूरी दुनिया से कराने वाले गेल ओम्वेट का यूँ जाना बहुजन आंदोलन के लिए एक ऐसा नुक़सान है जिसे कभी नहीं भरा जा सकता।
अमेरिका में जन्म, भारत में ली आखिरी सांस
अमेरिका में जन्मी गेल ओम्वेट अब हमेशा-हमेशा के लिए भारत में सुपुर्द-ए-खाक हो गई। बुधवार को लंबी बीमारी के बाद गेल ओमवेट का परिनिर्वाण हो गया था, 81 साल की उम्र में उन्होंने आख़िरी साँस ली।
आंबेडकरवादी साहित्य को दुनिया भर में फैलाया
ओमवेट ने भारत में दलितों की स्थिति और इतिहास पर शानदार काम किया है। बाबा साहब डॉ आंबेडकर पर उनकी किताबों ने बहुजन आंदोलन को धार दी, साथ ही वो महिला अधिकारों को लेकर भी लगातार सक्रिय रहीं। अमेरिका के मिनीपोलिस में जन्मीं गेल ओमवेट हमेशा के लिए भारतीय होकर रह गईं। भारत में जाति विरोधी आंदोलन, दलित अधिकार, महिला अधिकार और पर्यावरण से जुड़े मसलों पर गेल ओमवेट ने जिंदगी भर शिद्दत से काम किया। वो जितनी बेहतर स्कॉलर थीं, उतनी ही बेहतर इंसान भी थीं।
भारत में दलितों के उत्थान से जुड़े कार्यक्रमों में अक्सर गेल ओमवेट जी दिखाई देती थीं। मान्यवर कांशीराम साहब द्वारा शुरू किए गए बामसेफ के एक कार्यक्रमों में अक्सर गेल ओमवेट मंचों पर दिखाई देती थी, मान्यवर अक्सर कहते थे… मुझे ज्योतिबा फुले और बाबा साहब को समझाने वाली गेल ओमवेट ही है। गेल ओमवेट ने दर्जनों किताबें लिखी और उनके रिसर्च पेपर दुनिया भर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
आंबेडकरवादी साहित्य में गेल ओमवेट का नाम हमेशा के लिए अमर हो चुका है। ऐसी महान स्कॉलर और आंबेडकरवादी लेखिका हम सलाम करते हैं।