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कॉर्पोरेट ऑफिस में भी जातिवाद, दलित कर्मचारी ने तंग आकर दे डाली जान !

बेंगलुरु में एक कॉर्पोरेट ऑफिस में जातिवाद का मामला सामने आया है। लगातार जातीय उत्पीड़न से तंग आकर एक नौजवान दलित कर्मचारी ने अपनी जान दे दी।

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मृतक विवेक राज की तस्वीर । www.theshudra.com

जातिवाद ने एक और होनहार दलित व्यक्ति की जान ले ली। बेंगलुरु में एक कॉर्पोरेट ऑफिस में जातिवाद का मामला सामने आया है। लगातार जातीय उत्पीड़न से तंग आकर एक नौजवान दलित कर्मचारी ने अपनी जान दे दी।

सोशल मीडिया पर पोस्ट किया वीडियो 

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 3 जून को 35 साल के दलित कर्मचारी विवेक राज ने सुसाइड से पहले यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उसने अपने साथ हो रहे जातीय भेदभाव और उत्पीड़न के बारे में सिलसिलेवार ढंग से बताया था। इस वीडियो को पोस्ट करने के बाद विवेक राज ने सुसाइड कर ली थी।

वीडियो में विवेक बताते हैं “मुझे खेद है और मुझे गर्व भी है। सिस्टम से लड़ना, चाहे वह सरकारी हो या निजी क्षेत्र, एक मुश्किल काम है। एक विशेष पृष्ठभूमि से आने वाले, कड़ी मेहनत से पढ़ाई करने, कड़ी मेहनत से आप में बदलाव आता है, आप एक इंसान के रूप में बेहतर होते हैं। आप दूसरों के प्रति दयालु बनने की कोशिश करते हैं। लेकिन दुनिया आप पर मेहरबान नहीं है।’

उन्होंने आगे कहा, “जैसा कि भगत सिंह ने कहा था, ‘अगर बहरों को सुनाना है, तो आवाज बहुत तेज होनी चाहिए’, मैंने उस आवाज को बनाने की कोशिश की है… सिस्टम भ्रष्ट है। पैसे वाले, सत्ता वाले लोग आपको परेशान करेंगे, आपको परेशान करते रहेंगे, समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं। जब आप कानूनी प्रणाली के माध्यम से लड़ने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें सबसे बेहतरीन वकील मिलेंगे। वे उत्पीड़न को छुपाने के लिए जितना संभव हो पैसा खर्च करने के लिए तैयार हैं, लेकिन सिस्टम को सही या परिभाषित नहीं करते हैं।”

प्राइवेट फर्म में काम करते थे विवेक राज 

विवेक राज Lifestyle international Pvt Ltd नाम की प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। विवेक ने अपने आखिरी वीडियो में आरोप लगाया है कि उनके साथ कंपनी के दो सीनियर कर्मचारियों ने जातिगत उत्पीड़न और भेदभाव किया लेकिन HR को शिकायत करने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। विवेक के मुताबिक शिकायत करने के बाद उसे कंपनी की ओर से परेशान किया गया और इस्तीफा देने के लिए मजबूर भी किया गया।

2 आरोपियों को मिली ज़मानत 

कंपनी का कहना है कि वो जांच में सहयोग कर रही है। पुलिस ने विवेक की शिकायत के आधार पर 2 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज़ किया है लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों आरोपियों को ज़मानत मिल गई है और उन्होंने FIR रद्द करने के लिए कोर्ट में याचिका डाली है। इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है।

व्हाइटफील्ड पुलिस ने धारा 34 (समान मंशा से कई व्यक्तियों द्वारा किया गया कार्य) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया है। विवेक की शिकायत के आधार पर, पुलिस ने धारा 3 (1) (आर) (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य को किसी भी स्थान पर अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या डराना) और 3 (1) (एस) (किसी भी सदस्य को गाली देना) के तहत मामला दर्ज किया था।

बेंगलुरु पुलिस पर लापरवाही के आरोप

खबर के मुताबिक विवेक ने Marathahalli थाने में शिकायत भी की थी लेकिन शुरुआत में पुलिस ने ना ही FIR दर्ज़ की और ना ही विवेक की शिकायत पर कोई जांच की। एक ACP के दखल देने के बाद इस मामले में FIR दर्ज़ हो पाई थी। इस मामले में लापरवाही करने वाले पुलिस वालों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब Whitefield पुलिस इसकी जांच कर रही है।

यूपी का रहने वाला था मृतक विवेक राज  

मृतक विवेक राज यूपी के कप्तानगंज का रहने वाला था, वो अपने घर का इकलौता बेटा था। उनके 67 के साल पिता राजकुमार ने इस बारे में कहा ‘पुलिस में शिकायत दर्ज करने और सुसाइड के बीच उसने मुझे (3 जून को) कई बार फोन किया था। वह जिस स्थिति का सामना कर रहा था, उसके बारे में उसने कुछ भी नहीं बताया। उसने केवल कुछ सामान्य चीजों और मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछा। मैंने 20 साल पहले अपनी पत्नी को खो दिया था। मेरा बेटा मेरे लिए सब कुछ था और मैंने उसकी शिक्षा के लिए वह सब कुछ किया जो मैं कर सकता था। अब, उसकी मौत के बाद मुझे जीवन भर अकेले रहना होगा।’

बेहद प्रतिभावान था विवेक राज 

विवेक राज ने National Institute of Fashion Technology, Bengaluru से पढ़ाई की थी। इंडियन एक्सप्रेस ने विवेक के क्लासमेट के हवाले से छापा है ‘विवेक कॉलेज के दिनों में एक उज्ज्वल, मेहनती और प्रतिभाशाली छात्र थे। वे बहुत ही मिलनसार और सरल स्वभाव के व्यक्ति भी थे। हमने 2012 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और काम करना शुरू किया। उन्होंने जो वीडियो शेयर किया वह वाकई दिल दहला देने वाला है। NIFT के पूर्व छात्र कॉर्पोरेट जगत में जातिगत भेदभाव के बारे में चिंतित हैं।’

कब बंद होगा दलितों का ये कत्लेआम?

हमारे देश में आज भी जात-पात के कारण जाने कितनी ही प्रतिभाओं की हत्या हो रही है। सवाल उठता है कि 21वीं सदी के भारत में भी आखिर कब तक भारतीय इस तरह की जातिवादी मानसिकता को ढोते रहेंगे? सवाल तो ये भी कि आखिर दलितों का ये कत्लेआम कब बंद होगा?

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