जम्मू यूनिवर्सिटी में एक दलित एसोसिएट प्रोफेसर की आत्महत्या केस में नया मोड़ आ गया है। परिवार और साथियों की ओर से ये आरोप लगाया गया है कि जानबूझकर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ चंद्रशेखर को यौन उत्पीड़न के मामले में फंसाकर बदनाम किया गया जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली।
फंदे से लटका मिला था शव
बीते बुधवार (7 सितंबर) को जम्मू यूनिवर्सिटी के स्टाफ क्वार्टर में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ चंद्रशेखर का शव फंदे से लटका मिला था। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। डॉ चंद्रशेखर मनोविज्ञान के टीचर थे। दलित जाति से संबंध रखने वाले डॉ चंद्रशेखर मूल रूप से यूपी के मेरठ के रहने वाले थे।
यौन उत्पीड़न का लगा था आरोप
दरअसल आत्महत्या से कुछ दिन पहले ही डॉ चंद्रशेखर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था। यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र-छात्राओं ने मृतक प्रोफेसर के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से शिकायत को सेक्सुअल हैरसमेंट से जुड़ी समिति को भेज दिया था। इसी शिकायत के आधार पर डॉ चंद्रशेखर को निलंबित कर दिया गया था।
जानबूझकर झूठे केस में फंसाया – डॉ चंद्रशेखर
डॉ़ चंद्रशेखर ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को झूठा करार दिया था। उन्होंने आत्महत्या से पहले बोर्ड पर लिखा था ‘सब सच है क्योंकि, कहानी ही झूठी है।’ डॉ चंद्रशेखर के परिवार ने आरोप लगाया है कि जानबूझकर साज़िश के तहत उन्हें फंसाया गया और बदनामी के कारण उन्होंने अपनी जान दे दी।
HoD बनने वाले थे डॉ चंद्रशेखर
डॉ चंद्रशेखर का अकादमिक करियर शानदार रहा है और प्रमुख पत्रिकाओं में उनके रिसर्च पेपर पब्लिश हुए हैं। डॉ चंद्रशेखर को 30 सितंबर को विभागाध्यक्ष बनाया जाना था लेकिन उससे पहले ही उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत सामने आई। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जानबूझकर अकादमिक रंजिश के कारण उन्हें फंसाया गया और मरने के लिए मजबूर कर दिया? इस मामले की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।