24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रात 8 बजे अवतरित हुए और बिना सोचे समझे, बिना कोई इंतज़ाम किये… पूरे देश में लॉकडाउन का एलान कर दिया। अगले ही दिन से दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों से लाखों मज़दूरों का प्लान शुरू हो गया। हज़ारों किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए मज़दूरों के झकझोर देने वाले वीडियो सामने आए… इस दौरान सैकड़ों मज़दूर सड़क हादसों में मारे गए… जाने कितने ही परिवार हमेशा के लिए उजड़ गए… लेकिन मोदी सरकार ने इन गरीब मज़दूरों की मौत पर बेहद शर्मनाक बयान दिया है। इतना शर्मनाक की शर्म भी शर्मा जाए।
दरअसल केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने सोमवार को लोकसभा में बताया है कि प्रवासी मजदूरों की मौत पर सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है। सरकार को नहीं मालूम कि इस दौरान कितने मज़दूर मारे गए। इसलिए मुआवज़ा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने विपक्ष के सवाल का ऐसा जवाब दिया कि लोकतंत्र के मंदिर में लोकतंत्र तार-तार हो गया। लेकिन सरकार भूल सकती है, देश की गोदी मीडिया भूल सकती है, सरकारी एजेंसियाँ भूल सकती है लेकिन आज द शूद्र सरकार को तारीख़-दर-तारीख़ बताएगा कि किस दिन देश के किस हिस्से में कितने मज़दूर बदइंतज़ामी का शिकार हुए थे। ये वीडियो देखने के बाद मज़दूरों की मौत का तमाशा बनाने वालों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
मजदूरों की मौत का तारीख-दर-तारीख ब्यौरा
25 मार्च – लॉकडाउन की वजह से पहली मौत तमिलनाडु में हुई थी। केरल में काम करने वाले 10 मजदूर जंगल के रास्ते अपने घर तमिलनाडु लौट रहे थे। जंगल में आग लग गई और 4 लोग ज़िंदा जलकर मर गए जिसमें एक साल की मासूम बच्ची भी थी।
27 मार्च – हैदराबाद में 8 प्रवासी मजदूरों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी
28 मार्च – बिहार के भागलपुर में 4 मज़दूरों ने घर लौटने की जद्दोजहद में दम तोड़ दिया।
28 मार्च – महाराष्ट्र के मुंबई के विरार में पैदल जा रहे 7 मज़दूरों को टेपों ने कुचल दिया था, 4 मज़दूरों की मौत हो गई थी।
28 मार्च – गुजरात के वापी में 28 मार्च को 2 महिला मज़दूरों को ट्रेन ने कुचल दिया था, दोनों की मौत हो गई थी।
29 मार्च – हरियाणा के कुंडली–मानेसर–पलवल एक्सप्रेस वे पर 4 मज़दूर हादसे का शिकार हो गए।
29 मार्च – दिल्ली से आगरा तक 200 किलोमीटर पैदल चलने के बाद 39 साल के रणवीर सिंह ने दम तोड़ दिया था।
31 मार्च – जम्मू–कश्मीर के अनंतनाग में 3 मज़दूरों की मौत हुई।
1 अप्रैल – हरियाणा के गुरुग्राम में 5 मज़दूरों की मौत सड़क हादसे में हुई।
30 अप्रैल – उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 3 मज़दूर अपने घर तक नहीं पहुँच पाए।
30 अप्रैल – बिहार में 30 अप्रैल को 2 मज़दूरों की मौत हुई।
5 मई – यूपी के मथुरा में ट्रक टेम्पो की टक्कर में 7 मजदूरों की मौत हो गई थी।
7 मई – लखनऊ में साइकल से छत्तीसगढ़ के लिए निकले मजदूर की अपनी पत्नी समेत मौत हो गई थी।
8 मई – महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 16 मज़दूरों को ट्रेन ने कुचल दिया था। ट्रैक पर उनकी रोटियाँ बिखरी हुई थी। उन तस्वीरों को आप कैसे भुला सकते हैं ?
Maharashtra: Mortal remains of the 16 migrant labourers, who died after they were run over by a freight train near Aurangabad yesterday, were sent to Madhya Pradesh on a special train – carrying migrant labourers to the state – last night. pic.twitter.com/Vizt4EZS7H
— ANI (@ANI) May 9, 2020
इस हादसे पर तो ख़ुद मोदी जी ने भी ट्वीट कर दुख जताया था। पीएम ने 8 मई को सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर लिखा था ‘औरंगाबाद में हुए रेल हादसे से स्तब्ध हूँ। रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की है, वो हालात पर नज़र बनाए हुए हैं। हर संभव मदद की जाएगी।’
Extremely anguished by the loss of lives due to the rail accident in Aurangabad, Maharashtra. Have spoken to Railway Minister Shri Piyush Goyal and he is closely monitoring the situation. All possible assistance required is being provided.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 8, 2020
तो क्या देश के श्रम मंत्री संतोष गंगवार को ये भी नहीं दिखाई दिया? मौतों का ये सिलसिला लगातार चलता रहा।
9 मई – भागलपुर में प्रवासी मजदूरों से भरी बस और ट्रक की टक्कर में 9 लोगों की मौत हो गई थी।
10 मई – अलग-अलग हादसों में एमपी के नरसिंहपुर, बड़वानी, सागर और शाजापुर जिलों में 10 मज़दूरों की मौत हुई।
11 मई – झारखंड के जमशेदपुर में ट्रक का ब्रेकफेल होने से एक्सिडेंट हो गया, 4 मज़दूर मारे गए।
13 मई – एमपी के गुना में देर रात 60 से ज्यादा मजदूरों को लेकर जा रही बस का एक्सीडेंट हो गया था। इस हादसे में आठ मजदूरों की जान चली गई थी।
Madhya Pradesh: 8 labourers dead & around 50 injured after the truck they were travelling in, collided with a bus in Cantt PS area in Guna last night. Injured persons shifted to district hospital.All the 8 killed labourers were going to their native places in UP from Maharashtra. pic.twitter.com/OaB9SCLpjY
— ANI (@ANI) May 14, 2020
13 मई – 68 साल के रामकृपाल मुंबई से 1600 किमी चलकर संत कबीर नगर पहुँचे लेकिन घर से सिर्फ़ 30 किमी पहले दम तोड़ दिया।
14 मई – आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में मजदूरों से भरा ट्रैक्टर बिजली के खंभे से जा टकराया। करंट लगने से 13 मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
14 मई – मुज़फ़्फ़रनगर-सहारनपुर हाईवे पर एक बस 6 मज़दूरों को रौंदते हुए निकल गई थी।
6 migrant workers who were walking along the Muzaffarnagar-Saharanpur highway killed after a speeding bus ran over them late last night, near Ghalauli check-post. Case registered against unknown bus driver. pic.twitter.com/s81e7gpYkH
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 14, 2020
14 मई – इसी दिन यूपी के बुलंदशहर से बिहार के गया जा रहे मजदूर को रायबरेली की डोली ग्राम सभा के पास कार ने टक्कर मार दी, मज़दूर की मौक़े पर ही मौत हो गई थी।
14 मई – को ही बिहार के समस्तीपुर में शंकर चौक के पास एनएच 28 पर प्रवासी मजदूरों को लेकर कटिहार जा रही बस चांदचौर के पास ट्रक से टकरा गई जिससे दो मजदूरों की मौत हो गई थी।
16 मई – यूपी के औरैया में 24 मज़दूरों की मौत हुई और क़रीब 36 मज़दूर घायल हुए। सभी मज़दूर एक ट्राले पर सवार थे।
The incident took place at around 3:30 am. 23 people have died and around 15-20 have suffered injuries. Most of them are Bihar, Jharkhand and West Bengal: Abhishek Singh, DM Auraiya pic.twitter.com/fLpnPTAYmD
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 16, 2020
146 मज़दूरों की मौत तो सिर्फ़ हमने बता दी… गैर–लाभकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के मुताबिक़ 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से 18 मई सुबह 11 बजे तक लगभग 1,236 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 423 लोगों की मौत हुई है और 833 लोग घायल हुए। मज़दूरों को मरने के लिए छोड़ दिया गया… खूब हंगामा हुआ तो महीने भर बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई लेकिन बदइंतज़ामी ने यहाँ भी मज़दूरों की जान ले ली… रेलवे के आँकड़ों के मुताबिक़ 9 मई से 27 मई के बीच श्रमिक ट्रेनों में 80 मज़दूरों की मौत हो चुकी थी… मुज़फ़्फ़रपुर से आई इन तस्वीरों को अंधी सरकार क्या देख नहीं पा रही? गुजरात से श्रमिक ट्रेन में चढ़ने वाली मज़दूर माँ ने मुज़फ़्फ़रनगर पहुँचते-पहुंचते दम तोड़ दिया था… उसका शव प्लेटफ़ॉर्म पर पड़ा रहा… मासूम बच्चा कफ़न को आँचल समझकर माँ को जगाने की कोशिश करता रहा लेकिन मुर्दा प्रशासन को होश नहीं आया।
जाने कितने ही लोगों ने आर्थिक तंगी, भूख, बदहाली और सड़क हादसों में अपनी जान गवा दी… लेकिन ख़ुद को गरीब माँ का बेटा कहने वाले पीएम मोदी के मंत्रियों को देश की गरीब और लाचार जनता की ये तस्वीरें दिखाई तक नहीं देती… श्रम मंत्री संतोष गंगवार जी, क्या आप सिर्फ़ वोटों की गिनती करने के लिए मंत्री बने हैं? क्यों आपको ये आँकड़ें दिखाई नहीं देते? क्यों आपके कानों तक मज़दूरों की आह नहीं पहुँच पा रही? आपकी इस बेरुख़ी को धिक्कारने के अलावा हम कुछ नहीं कर सकते।