PM मोदी ने चुनाव जीतने के लिए ओबीसी कैबिनेट तो बना दी लेकिन ओबीसी के हितों को पूरा करने के लिए उनकी संख्या पता लगाने वाली जातिवार जनगणना को लेकर मुंह में दही जमा ली है। बीजेपी के इस चरित्र को लेकर ट्विटर पर मोदी सरकार के खिलाफ ट्रेंड हो रहा है। #OBC_जनगणना_विरोधी_मोदी_सरकार पर लोग अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार रखते हुए नजर आ रहे हैं।
बीजेपी बछड़ों की गिनती करा सकती है पर पिछड़ों नहीं – दिलीप मंडल
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने ट्वीट करते हुए लिखा, “बछड़ों तक की गिनती होती है। पिछड़ों की नहीं होती क्योंकि ये होते ही ओबीसी को अपनी संख्या पता चल जाएगी और हिस्सेदारी के लिए आंदोलन शुरू हो जाएगा। #OBC_जनगणना_विरोधी_मोदी_सरकार”
बछड़ों तक की गिनती होती है। पिछड़ों की नहीं होती क्योंकि ये होते ही ओबीसी को अपनी संख्या पता चल जाएगी और हिस्सेदारी के लिए आंदोलन शुरू हो जाएगा। #OBC_जनगणना_विरोधी_मोदी_सरकार pic.twitter.com/IZSB0kVJ9r
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) July 12, 2021
सरकार का प्लान नो डेटा नो रिजर्वेशन – नितिन मेश्राम
सुप्रीम कोर्ट के वकील नितिन मेश्राम ने लगातार तीन ट्वीट करते हुए लिखा, “ओबीसी आरक्षण गंभीर खतरे में है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि ओबीसी के लिए आरक्षण को सही ठहराने या बढ़ाने के लिए उसे सामाजिक-शैक्षिक और आर्थिक संकेतकों की आवश्यकता होगी। हालांकि जाति जनगणना से इनकार कर दिया और सरकार ओबीसी जनगणना से बच रही है। नो डेटा नो रिजर्वेशन।”
Gov conducts SC/STs caste census but it doesn’t undertake OBCs caste census. This is a discrimination. Also, when, it can collect caste indices for SC/STs, why not for OBC? SC/ST/OBC are joint beneficiary of constitutional provision of caste based discrimination & therefore,
— Nitin Meshram (@nitinmeshram_) July 12, 2021
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में लिखा, “सरकार SC/ST जाति की जनगणना आयोजित करती है लेकिन ओबीसी जाति की जनगणना नहीं कर सकती है। यह एक भेदभाव है। साथ ही, जब सरकार SC/ST के लिए जाति सूचकांक एकत्र कर सकती है, तो ओबीसी के लिए क्यों नहीं? एससी/एसटी/ओबीसी जाति आधारित भेदभाव के संवैधानिक प्रावधान के संयुक्त लाभार्थी हैं।”
जनगणना की मांग खारिज करना संविधान से धोखाधड़ी है – नितिन मेश्राम
उन्होंने अपने अंतिम ट्वीट में लिखा, उनकी सामाजिक-शिक्षा और आर्थिक स्थिति के संबंध में उनकी स्थिति का मूल्यांकन जाति जनगणना के माध्यम से किया जाना चाहिए। जाति जनगणना की मांग को खारिज करना सूचना से इनकार करना संविधान के साथ धोखाधड़ी है।
their situation regarding their socio-education & economic situation must be evaluated through caste census. Rejecting demand for caste census amounts to denial of information & a fraud on constitution.
— Nitin Meshram (@nitinmeshram_) July 12, 2021
मोदी का ओबीसी कैबिनेट जल्द कराएगा जनगणना – डॉक्टर लक्ष्मण यादव
हाल ही मैं हुए मोदी मंत्रीमंडल के विस्तार में ओबीसी के 27 मंत्रियों को जगह दी गई है। इसी पर तंज कसते हुए डॉक्टर लक्ष्मण यादव ने भी ट्विटर पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा, “#OBC_जनगणना_विरोधी_मोदी_सरकार इस ट्विटर ट्रेंड को धता बताते हुए आज़ाद भारत की पहली सबसे बड़ी ‘ओबीसी कैबिनेट’ जल्दी ही ओबीसी हितों के लिए जाति जनगणना कराने का निर्णय लेने वाली होगी. है न?”
#OBC_जनगणना_विरोधी_मोदी_सरकार इस ट्वीटर ट्रेंड को धता बताते हुए आज़ाद भारत की पहली सबसे बड़ी 'ओबीसी कैबिनेट' जल्दी ही ओबीसी हितों के लिए जाति जनगणना कराने का निर्णय लेने वाली होगी. है न?
— Dr. Laxman Yadav (@DrLaxman_Yadav) July 12, 2021
जब महाराष्ट्र विधानसभा ने ओबीसी समुदाय के राजनीतिक आरक्षण को बहाल करने के लिए केंद्र से 2011 की जनगणना के आंकड़े उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था तब भाजपा सदस्यों ने सदन में अध्यक्ष के आसन के सामने पहुंचकर प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कार्रवाई नहीं होने दी। इससे साफ पता चलता है कि बीजेपी ओबीसी समुदाय का कितना भला चाहती है कितना नहीं?