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जाति विरोधी कानून को मिला संयुक्त राष्ट्र का साथ, अमेरिका में जाति पर बड़ी चोट !

अमेरिका में तो इस बिल को भरपूर समर्थन मिल ही रहा है लेकिन अब यूनाइटेड नेशन में भी एंटी कास्ट बिल SB403 को समर्थन मिल रहा है।

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एंटी कास्ट मूवमेंट में अमेरिका इतिहास रचने जा रहा है, अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में जाति के आधार पर भेदभाव को बैन करने वाले बिल SB403 पर 5 जुलाई को Assembly Judiciary Committee में वोटिंग हो सकती है। यानी ये बिल कानून बनने के एक और कदम नज़दीक पहुंचने वाला है। अगर ये बिल कैलिफोर्निया की विधानसभा में पास हो जाता है तो कैलिफोर्निया में किसी के साथ जातिगत भेदभाव करना कानूनन जुर्म होगा।

संयुक्त राष्ट्र में मिला समर्थन 

अमेरिका में तो इस बिल को भरपूर समर्थन मिल ही रहा है लेकिन अब यूनाइटेड नेशन्स में भी एंटी कास्ट बिल SB403 को समर्थन मिल रहा है। भेदभाव पर यूनाइटेड नेशन्स की स्पेशल रैपोर्टर ने SB403 का समर्थन किया है। भारतीय मूल की K P Ashwini United Nations में Special Rapporteur on Contemporary forms of Racism, Racial Discrimination, Xenophobia and related Intolerance हैं। के.पी अश्विनी ने संयुक्त राष्ट्र को लिखी अपनी चिट्ठी में कहा है कि इस बिल का समर्थन किया जाना चाहिए।

उन्होंने अपनी चिट्टी में क्या लिखा है, वो बताते हैं। वो लिखती हैं UN में Discrimination पर  Special Rapporteur की हैसियत से मैं आपको एंटी कास्ट बिल SB 403 के समर्थन के बारे में लिख रही हूं जो कैलिफोर्निया में सीनेटर आयशा वहाब ने पेश किया है, ये बिल जाति के आधार पर भेदभाव को बैन करेगा। बिल को 11 मई 2023 को कैलिफोर्निया सीनेट ने 34-1 से पास कर दिया था। अगर ये बिल असेंबली में भी पास हो जाता है तो ये Caste को राज्य की Protected Class में डाल देगा जिसे नौकरी, घर, शिक्षा, हेल्थकेयर, बिजनेस सर्विस, पब्लिक और प्राइवेट ज़मीन के कॉन्ट्रैक्टिंग वगैरह में होने वाले जातिगत भेदभाव पर रोक लगेगी और जातिवाद से निपटने के जाति विरोधी नियम और कानून बनाने में आसानी होगी।

इस बिल पर होने वाली वोटिंग के मद्देनज़र, मैं कैलिफ़ोर्निया स्टेट असेंबली के सभी सदस्यों को उनके कर्तव्यों और उन इंटरनेशनल क़ानूनों की याद दिलाना चाहती हूँ जो जाति के आधार पर भेदभाव से सुरक्षा प्रदान करने को कहते हैं, साथ ही ये भी ज़िम्मेदारी है कि हम जातिवाद से पीड़ित व्यक्तियों के लिए ज़रूरी नीति और क़ानून बनाने की प्रक्रिया विकसित करें।’

इंटरनेशनल कानूनों की दिलाई याद 

के.पी अश्विनी ने कैलिफ़ोर्निया सीनेट के सदस्यों को International Convention on the Elimination of Racial Discrimination की याद भी दिलाई। संयुक्त राज्य अमेरिका ने साल 1994 में ICERD को स्वीकार किया था और ये इंटरनेशनल लॉ जाति के आधार पर भेदभाव को बैन करने की बात करता है। यानी के.पी अश्विनी कह रही हैं कि अमेरिका यूनाइटेड नेशन्स के कानूनों के तहत भी अपने देश में जातिगत भेदभाव को रोकने के लिए बाध्य है। 

असेंबली न्यायिक समिति में होगी वोटिंग

आयशा वहाब के इस एंटी कास्ट बिल पर 5 जुलाई को  Assembly Judiciary Committee में वोटिंग होगी। फिर से बिल को असेंबली में सदस्यों के सामने वोटिंग के लिए रखा जाएगा। अगर ये बिल पास हो गया तो कैलिफोर्निया में इतिहास रचा जाएगा। इस बिल में जाति के आधार पर भेदभाव करने को बैन करने का प्रावधान है। अफगानी मूल की अमेरिकी सासंद आयशा वहाब ने अमेरिका में बसे दलित-बहुजन आंबेडकरवादियों के साथ मिलकर ये बिल राज्य की सीनेट में पेश किया है।

अगर ये बिल पास हो गया तो कैलिफोर्निया अमेरिका का पहला राज्य बन जाएगा जहां जाति के आधार पर भेदभाव करना गैर-कानूनी घोषित हो जाएगा। लेकिन जैसे ये ही बिल आया, वैसे ही वहां बसे सवर्ण हिंदू इसे हिंदू धर्म पर हमला बताने लगे हैं। पिछले दिनों एंटी कास्ट बिल को एंटी हिंदू बिल कह कर अमेरिका में बसे सवर्ण भारतीयों ने आयशा वहाब के दफ्तर के बाहर भी प्रदर्शन किया था। अमेरिका में जाति  के खिलाफ कानून ना बन जाए, इसलिए वहां बसे सवर्ण भारतीय एकजुट हो गए हैं। ये सवर्ण हिंदू कह रहे हैं कि अमेरिका में जाति के आधार पर भेदभाव को बैन करने वाला कानून पास नहीं होना चाहिए।

सीनेटर आयशा वहाब को मिली धमकी

आयशा वहाब को धमकियां तक दी गईं लेकिन आयशा वहाब डटी रही और उन्हें लगातार इस बिल पर कामयाबी मिल रही है। यही वजह है कि जातिवादी तिलमिलाए हुए हैं। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन जैसी सवर्णों की संस्था ने बिल पास होने का विरोध किया है लेकिन इनके विरोध करने का अब कोई फायदा नहीं। अब अमेरिका जाति के खिलाफ मजबूती से खड़ा है।

150 साल पहले ज्योतिबा फुले ने दिया था साथ

150 साल पहले राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले ने अमेरिका में ब्लैक लोगों के आंदोलन का साथ दिया था। उन्होंने अपनी किताब गुलामगिरी अमेरिका के अश्वेतों को समर्पित करते हुए उन लोगों को याद किया था जो दासता के खिलाफ लड़ाई में साथ खड़े थे। 150 साल बाद अमेरिका अन्याय के खिलाफ इस लड़ाई में भारतीय लोगों के साथ खड़ा हो रहा है। ये अपने आप में ऐतिहासिक और ऊर्जा से भर देने वाला है। वंचित वर्गों की ये लड़ाई हमें भविष्य का रास्ता दिखाने का काम करेगी। अमेरिका में बसे तमाम आंबेडकरवादी साथियों ने साबित कर दिया है कि वो अब जातिवाद नहीं सहेंगे और दुनिया भर में इसके खिलाफ मजबूती से आंदोलन करेंगे।

सिएटल में भी बन चुका है एंटी कास्ट लॉ

इससे पहले अमेरिका के ही सिएटल शहर में भारतीय मूल की सांसद क्षमा सावंत और आंबेडकरवादियों की कोशिशों से जाति के खिलाफ कानून पास हो चुका है। अब अगर कैलिफोर्निया में भी ये बिल पास हो गया तो कैलिफोर्निया यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का पहला राज्य होगा जहां कास्ट बेस्ड डिस्क्रिमिनेशन पर बैन होगा। जाति के आधार पर भेदभाव करने वालों पर मुकदमा चलेगा और उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है, क्योंकि वहां ना ही पुलिस वाले एक जाति के होंगे और ना ही फैसला सुनाने वाले जज।

सच हुई बाबा साहब की भविष्यवाणी

बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने भविष्यवाणी की थी ‘भारत के जातिवादी दुनिया में जहां भी जाएँगे, वो जाति की बीमारी को साथ ले जाएंगे और फिर जाति एक वैश्विक समस्या बन जाएगी’ उनकी ये भविष्यवाणी सच साबित हुई और जातिवादियों ने जाति का ये वायरस पूरी दुनिया में फैला दिया। लेकिन अमेरिका से उठ रही मजबूत आवाज़ एंटी कास्ट मूवमेंट को आगे बढ़ा रही हैं… हम इन सभी आवाज़ों का हौसला बढ़ाते हैं।

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