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जाति के खिलाफ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का बड़ा कदम, अब जातिवादियों की खैर नहीं !

हार्वर्ड ने अपनी Non-Discriminatory Policy में Caste को भी शामिल कर लिया है।

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(Photo - Harvard University)

जिस तरह से भारत के सवर्णों ने दुनिया भर में जातिवाद की बीमारी को फैलाया है, उससे अब पूरी दुनिया परेशान हो गई है। यही वजह है कि एक के बाद एक दुनिया के तमाम मुल्कों में एंटी कास्ट लॉ बन रहे हैं। ताज़ा खबर अमेरिका की मशहूर यूनिवर्सिटी हार्वर्ड से आई है। हार्वर्ड ने अपनी Non-Discriminatory Policy में Caste को भी शामिल कर लिया है।

इसका क्या मतलब है ?

साधारण भाषा में इसका मतलब ये है कि अब अगर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कैंपस में कोई छात्र, स्कॉलर, टीचर या प्रशासन का व्यक्ति किसी भी दूसरे व्यक्ति के साथ उसकी जाति के आधार पर भेदभाव करता है तो ये एक दंडनीय अपराध होगा। आंबेडकर इंटनेशनल सेंटर की ओर से शेयर किए गए नोटिस में लिखा है ‘हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अपने यहाँ शिक्षा और रोज़गार में समानता के सिद्धांत के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे यहाँ उम्र, नस्ल, रंग, राष्ट्रीयता, सेक्स, धर्म, सेक्सुअल ओरिंटेशन और जाति आदि के आधार पर भेदभाव करना ग़ैर क़ानूनी और दंडनीय अपराध होगा।’

 

यानी अब अगर किसी भी जातिवादी ने अपनी घटिया मानसिकता का दिखावा किया और वहां किसी भी दलित बैकग्राउंड के व्यक्ति के साथ जाति के आधार पर भेदभाव किया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। 

अमेरिका में तेज़ी बन रहे हैं एंटी कास्ट लॉ

अमेरिका में तेज़ी से बढ़ते जातिवाद को देखते हुए एक के बाद एक एंटी कास्ट पॉलिसी और कानून बनाए जा रहे हैं। अमेरिका की 24 यूनिवर्सिटी अपने कैंपस में जाति के आधार पर भेदभाव को बैन कर चुकी हैं। इससे पहले कैलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी भी ऐसी पॉलिसी घोषित कर चुकी है। बड़ी बात ये भी है कि अब अमेरिका जाति पर सिर्फ बात नहीं कर रहा बल्कि उस पर कानून भी बना रहा है।

मेरिका में जातिवाद के कई मामले सामने आ चुके हैं। इससे पहले सिस्को केस ने सभी का ध्यान खींचा था जहां सीनियर सवर्ण भारतीय अधिकारियों पर जूनियर दलित कर्मचारी के साथ भेदभाव करने का गंभीर मामला सामने आया था। लगातार बढ़ते कास्ट बेस्ड डिस्क्रिमिनेशन के कारण अब अमेरिका की सोसाइटी में कास्ट को लेकर जागरूकता बढ़ी है और अब वहां एंटी कास्ट कानून बनाने की मांग तेज़ हो गई है 

एप्पल जैसी बड़ी कंपनी ने भी अपनी HR पॉलिसी में कास्ट से जुड़े मसलों को शामिल किया है। अमेरिका की सिएटल सिटी काउंसिल भी कास्ट डिस्क्रिमिनेशन को बैन कर चुकी है। अब अमेरिका के कैलीफोर्निया राज्य में जातिवाद के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी हो रही है। जल्द ही अमेरिका के कैलीफोर्निया प्रांत में एंटी कास्ट लॉ बन सकता है जिसके बाद जाति के आधार पर किसी से भी भेदभाव करना गैर-कानूनी घोषित हो जाएगा।  

दरअअसल कैलीफोर्निया स्टेट सीनेटर आयशा वहाब ने राज्य की विधानसभा में एंटी कास्ट बिल पेश किया है। बुधवार को पेश किए गए इस बिल में जाति के आधार पर भेदभाव को गैर-कानूनी घोषित करने की मांग की गई है। इस कानून में नस्ल, जेंडर और फिज़िकल डिसेबिलिटी आदि की तरह जाति को भी प्रोटेक्टेड कैटेगरी में शामिल करने का प्रावधान है। यानी जैसे अमेरिका में नस्ल के आधार पर ब्लैक्स के साथ भेदभाव करना दंडनीय अपराध है, वैसे ही अब जाति के आधार पर भेदभाव करना भी गैर-कानूनी हो सकता है। अगर ये बिल पास हो गया तो कैलीफोर्निया यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का पहला राज्य होगा जहां कास्ट बेस्ड डिस्क्रिमिनेशन पर बैन होगा। 

वो दिन दूर नहीं जब अमेरिका में भी जातिवाद करने वालों की खैर नहीं होगी। बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने भविष्यवाणी की थी ‘भारत के सवर्ण दुनिया में जहां भी जाएँगे, वो जाति की बीमारी को साथ ले जाएंगे और फिर जाति एक वैश्विक समस्या बन जाएगी’ उनकी ये भविष्यवाणी सच साबित हुई और जातिवादियों ने जाति का ये वायरस पूरी दुनिया में फैला दिया लेकिन अब दुनिया भर में बसे आंबेडकरवादी कास्ट नाम के वायरस की वैक्सीन तैयार कर रहे हैं। 

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