बहुजन समाज के ये छात्र देश की राजधानी दिल्ली में सामाजिक कल्याण मंत्रालय के दफ़्तर के बाहर अपना हक़ माँगने के लिए खड़े हैं। दलित, आदिवासी और पिछड़ा समाज के छात्र दिल्ली के मुखर्जी नगर में UPSC परीक्षा की तैयारी करते हैं। कोरोना काल में वैसे भी जीना मुहाल है और ऐसे में सरकारी बेरुख़ी ने इन छात्रों को सड़क पर ला दिया। 2019 से इन छात्रों को मासिक वज़ीफ़ा नहीं मिल रहा।
हर महीने 5000 रुपये नहीं मिल रहे
भारत सरकार एससी-एसटी और ओबीसी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए स्कॉलरशिप देती है। इसमें कोचिंग की फ़ीस और रहने-खाने के लिए हर महीने 5000 रुपये छात्रों को दिये जाते हैं लेकिन इन छात्रों को पिछले दो-ढाई साल से कोई पैसा नहीं मिल रहा।
सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय में घुसने भी नहीं दिया – छात्र
दिल्ली जैसे शहर में रहकर पढ़ाई करना वैसे भी बहुत खर्चीला होता है, ऐसे में वंचित तबके के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप दी जाती हैं लेकिन मोदी सरकार स्कॉलरशिप का पैसा नहीं दे रही और बच्चे मजबूरी में दर-दर भटक रहे हैं। हद तो ये हो गई कि सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के अफ़सरों ने इन्हें अंदर तक नहीं घुसने दिया।
प्राइवेटाइज़ेशन के ज़रिए वैसे ही बहुजन छात्रों को शिक्षा से दूर करने की साज़िशें हो रही हैं, ऐसे में बहुजन छात्रों का भविष्य अंधकार में झूल रहा है।
दिल्ली से दीपक कुमार के साथ ब्यूरो रिपोर्ट, द न्यूज़बीक