बीजेपी जहां एक तरफ खुद को दलित हितैषी बताती है तो वहीं दूसरी तरफ दलितों का गला काटने का काम भी करती है। इसी का ताजा नमूना उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के द्वारा अशासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य के लिए खाली पड़े 290 पदों के चयन परिणाम की जारी सूची में देखने को मिला है। 263 पदों के लिए जारी किए गए रिजल्ट में सिर्फ 7 अनुसूचित जाति और 1 अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को जगह मिली है।
SC/ST पर हुई दैवी कृपा – दिलीप मंडल
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने यूपीएचईएससी द्वारा जारी किए गए इस रिजल्ट पर तंज कसते हुए लिखा, यूपी में प्राचार्य यानी प्रिंसिपल परीक्षा के रिज़ल्ट आ गए हैं। 223 पद जनरल को, 32 ओबीसी को, 7 अनुसूचित जाति को और 1 अनुसूचित जनजाति को देकर दैवी कृपा बरसाई गई। अगर यूपी के सवर्ण इसके बावजूद बीजेपी को वोट नहीं देते हैं, तो उनसे बड़ा एहसानफरामोश दुनिया में कोई नहीं होगा।
यूपी में प्राचार्य यानी प्रिंसिपल परीक्षा के रिज़ल्ट आ गए हैं ! 223 पद जनरल को, 32 ओबीसी को, 7 अनुसूचित जाति को और 1 अनुसूचित जनजाति को देकर दैवी कृपा बरसाई गई। अगर यूपी के सवर्ण इसके बावजूद बीजेपी को वोट नहीं देते हैं, तो उनसे बड़ा एहसानफरामोश दुनिया में कोई नहीं होगा। pic.twitter.com/6LY6jFoeow
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 14, 2021
दलितों को मिला झुनझना, सवर्णों पर बरसी कृपा
यूपी में पहले अशासकीय महाविद्यालयों में सीधे इंटरव्यू के जरिए प्राचार्य की भर्ती होती थी, लेकिन योगी सरकार ने पहले 2016 और फिर दोबारा 2019 में 290 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया और 29 अक्तूबर 2020 को परीक्षा आयोजित कराई, परिक्षा के बाद इंटरव्यू 20 मार्च से 12 अगस्त 2021 तक आयोजित कराए। पांच वर्ष में पूरी की गई इस भर्ती के परिणाम आने के बाद दलित अभ्यर्थियों को योगी सकरार की ओर से सिर्फ झुनझना थमाया गया है, जबकि सवर्णों पर खूब कृपा बरसाई गई है।