यूपी विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले यूपी की सियासत में ज़ोर आज़माइश तेज़ हो गई है। मायावती ने बीएसपी के जिन विधायकों को पार्टी से निकाला था, उन्होंने कल अखिलेश यादव से मुलाकात की तो आज मायावती ने अखिलेश पर ज़बरदस्त पलटवार किया। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने अखिलेश यादव को जोड़तोड़, द्वेष और जातिवाद की संकीर्ण राजनीति में माहिर करार दे दिया।
‘समाजवादी पार्टी का छलावा’
मायावती ने एक के बाद कुल पांच ट्वीट्स के ज़रिए अखिलेश यादव पर जबरदस्त हमला बोला। उन्होंने अपने पहले ट्वीट में लिखा। ‘घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं घोर छलावा। जबकि उन्हें काफी पहले ही सपा व एक उद्योगपति से मिलीभगत के कारण राज्यसभा के चुनाव में एक दलित के बेटे को हराने के आरोप में बीएसपी से निलम्बित किया जा चुका है।’
1. घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं घोर छलावा। 1/5
— Mayawati (@Mayawati) June 16, 2021
‘समाजवादी पार्टी में होगी बगावत’
मायावती ने अपने तीसरे ट्वीट में अखिलेश यादव को आगाह करते हुए लिखा कि समाजवादी पार्टी में बगावत हो जाएगी। उन्होंने लिखा ‘सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती। क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं।’
3. सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती। क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं।
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‘दलित विरोधी है समाजवादी पार्टी’
मायावती ने अखिलेश यादव को घेरते हुए भदोई जिले का नाम संत रविदास नगर से बदलने का ज़िक्र करते हुए अपने चौथे ट्वीट में अखिलेश को दलित विरोधी करार दिया। उन्होंने लिखा ‘जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं। इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय।’
4. जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं। इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय।
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‘अध्यक्ष-ब्लॉक प्रमुख के लिए पैंतरेबाजी’
मायावती ने अपने पांचवें ट्वीट में यूपी पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए अखिलेश पर पैतरेंबाजी करने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा ‘वैसे बीएसपी के निलम्बित विधायकों से मिलने आदि का मीडिया में प्रचारित करने के लिए कल किया गया सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है।यूपी में बीएसपी जन आकांक्षाओं की पार्टी बनकर उभरी है जो जारी रहेगा’
5.वैसे बीएसपी के निलम्बित विधायकों से मिलने आदि का मीडिया में प्रचारित करने के लिए कल किया गया सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है।यूपी में बीएसपी जन आकांक्षाओं की पार्टी बनकर उभरी है जो जारी रहेगा
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अखिलेश से मिले थे BSP के 9 विधायक
मंगलवार को बीएसपी से निकाले जा चुके 9 विधायकों ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी जिसके बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि ये सभी विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन यही बात मायावती पहले ही कह चुकी हैं। मायावती ने इन सभी विधायकों पर पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में कार्रवाई की और सभी को पार्टी से बाहर निकाल दिया था। पिछले साल यूपी की सीटों पर राज्यसभा के लिए हुए चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते मायावती ने इन सभी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया था। हालांकि वो बीएसपी की ओर से रामजी गौतम को राज्यसभा भेजने में कामयाब रही थीं।
अखिलेश से बहुत नाराज़ हैं मायावती
मायावती ने जिस तरह से बेहद सख्त लहजे में अखिलेश यादव पर हमला बोला है, उससे साफ है कि वो अखिलेश यादव से जबरदस्त नाराज हैं। इससे यही संकेत मिलते हैं कि यूपी विधानसभा चुनाव का सियासी पारा आने वाले दिनों में और भी चढ़ सकता है। लेकिन बीएसपी में जिस तरह से फूट पड़ी है और उसके विधायक पार्टी के खिलाफ जा रहे हैं, उसे बीएसपी के लिए भी खतरे की घंटी माना जा रहा है।
नई पार्टी भी बना सकते हैं बागी
- असलम राइनी (भिनगा)
- असलम अली चौधरी (ढोलाना-हापुड़)
- मुजतबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-इलाहाबाद)
- हाकिम लाल बिंद (हांडिया-प्रयागराज)
- हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर)
- सुषमा पटेल (मुंगरा-बादशाहपुर)
- वंदना सिंह (सगड़ी)
- रामवीर उपाध्याय (सादाबाद) और
- अनिल सिंह (उन्नाव)
- राम अचल राजभर
- लालजी वर्मा
ये उन विधायकों की लिस्ट हैं जिन्हें मायावती अब तक पार्टी से बाहर निकाल चुकी हैं। ऐसे में अगर एक और विधायक पार्टी से बगावत करता है तो ये सभी मिलकर नई पार्टी का गठन भी कर सकते हैं। कुल मिलाकर यूपी विधानसभा चुनाव से महज चंद महीने पहले बीएसपी के अंदर जो घमासान मचा है, उसका असर सिर्फ बीएसपी पर ही नहीं बल्कि यूपी की सियासत में एक्टिव हर पार्टी पर होगा।
ब्यूरो रिपोर्ट, द न्यूज़बीक