देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्वीकृत ओबीसी पद लगभग आधे से ज्यादा खाली पड़े हुए हैं। शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, विश्वविद्यालयों में 55 % पद रिक्त हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर में तो ओबीसी के खाली पदों की संख्या 89 % से भी ज्यादा है।
सेंट्रल यूनिवर्सिटियों में रिक्त पड़े हैं स्वीकृत पद
लोकसभा में लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आंकड़े साझा कर बताया कि, 45 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में SC के लिए 38.71% और ST के लिए 41.64 % पद रिक्त हैं।
आईआईएससी में क्रमश: एसटी (54.7 फीसदी) और एससी (20.2 फीसदी) के रिक्त पद हैं। आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए रिक्त पद क्रमशः 39.4 प्रतिशत, 57.89 प्रतिशत और 43.7 प्रतिशत हैं।
विश्वविद्यालयों पर है रिक्त पदों को भरने का जिम्मा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि, केंद्रीय विश्वविद्यालयों पर रिक्त पदों को भरने का दायित्व है। एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 12 जुलाई 2019 को अधिसूचित किया गया था।
SC-ST, OBC के मलाई कौन खा रहा है?
हाल ही में मोदी सरकार ने ओबीसी कैबिनेट बनाई लेकिन ये आंकड़े साबित करते हैं कि विश्वविद्यालय जैसे अहम संस्थानों में एससी-एसटी और ओबीसी समाज के स्वीकृत पद ना भरना एक सोची-समझी साज़िश है। आखिर क्यों ये बैकलॉग नहीं भरा जा रहा? सवाल उठता है कि आखिर कब तक बहुजन समाज की हकमारी होती रहेगी?