चेन्नई : मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से मेडिकल और डेंटल कोर्स में ओबीसी आरक्षण को लेकर अपना रुख साफ करने को कहा है। द्रमुक के टी के एस इलांगोवन ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिल कुमार राममूर्ति की पीठ ने अखिल भारतीय आरक्षण कोटा के तहत तमिलनाडु द्वारा छोड़ी गई सीटों पर सरकार से जवाब मांगा है। फिलहाल पीठ ने मामले की सुनवाई 26 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है।
ओबीसी आरक्षण लागू ना करना सरकार का जिद्दी प्रयास
मद्रास हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने ट्वीट कर लिखा, मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राज्य में चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय कोटा के तहत ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं करना केंद्र सरकार का जिद्दी प्रयास प्रतीत होता है। #NOOBC_NONEET
The Madras High Court on Monday observed that the Union government’s attempt to not implement the OBC reservation quota in respect of the All India Quota (AIQ) seats for admission to medical courses in the State appears to be “contumacious (ज़िद्दी)”. #NOOBC_NONEET pic.twitter.com/V1qicG4Nvh
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) July 20, 2021
हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी
बता दें कि हाई कोर्ट की पीठ ने 27 जुलाई 2020 को जारी की अपनी एक रिपोर्ट में केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा था कि राज्य के कॉलेजों में एआईक्यू के तहत ओबीसी को आरक्षण देने के लिए केंद्र समिति का गठन करे, जिसमें राज्य चिकित्सा अधिकारियों और भारतीय चिकित्सा और दंत चिकित्सा परिषद के सदस्यों को शामिल किया जाए।इसके बावजूद केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
फिलहाल हाईकोर्ट ने कहा, ऐसा लगता है कि मोदी सरकार नीट में ओबीसी आरक्षण लागू ही नहीं करना चाहती, सरकार का रैवया जिद्दी की तरह है। नीट में मिलने वाले ओबीसी आरक्षण पर अपना रूख साफ करने के लिए हाईकोर्ट ने मोदी सरकार को एक हफ्ते का समय दिया है।