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धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस विशेष : डॉ. आंबेडकर ने इस्लाम, ईसाई या सिख धर्म की जगह सिर्फ बौद्ध धम्म ही क्यों स्वीकार किया ?

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‘मैं हिंदू के रूप में पैदा ज़रूर हुआ हूँ लेकिन मैं एक हिंदू के रूप में हरगिज़ नहीं मरूँगाबाबा साहब डॉ आंबेडकर ने 13 अक्टूबर 1935 को नासिक के येवला सम्मेलन में ये एलान किया था लेकिन उन्हें हिंदू धर्म को छोड़ने में 21 साल का वक़्त लग गया।

14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने नागपुर की दीक्षा भूमि पर अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धम्म को अपनाया था। लेकिन बौद्ध धम्म ही क्यों? डॉ आंबेडकर ने इस्लाम, सिख या क्रिश्चियन बनने का फ़ैसला क्यों नहीं किया? बौद्ध धम्म की किन बातों ने डॉ आंबेडकर को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया? और आख़िर क्यों डॉ आंबेडकर को एक बेहतर धर्म ढूंढने में 21 साल लग गए? इन सवालों का जवाब जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर वीडियो देखें।

बौद्ध धम्म अपनाते वक्त बाबा साहब ने 22 प्रतिज्ञाएं भी ली थीं, अगर बहुजन समाज इन प्रतिज्ञाओं पर चले तो बाबा साहब के सपनों का भारत बन सकता है। जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर वीडियो देखें।

       
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