21वीं शताब्दी के 22वें साल में विश्वगुरु बनने का दावा करने वाले भारत देश में एक नाई एक दलित व्यक्ति के बाल तक नहीं काट सकता। क्यों? क्योंकि अगर बाल काटने पड़े तो उसे छूना पड़ेगा और इन्होंने तो यही सीखा है कि दलित अछूत हैं और उन्हें छुआ नहीं जा सकता। इस घटिया मानसिकता वाले सैलून चालक को ना जाने किस बात का गुमान है कि वो दलितों को अपनी दुकान में घुसने तक नहीं दे रहा।
यूपी के बदायूं का है मामला ?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें सैलून चालक और उसके ग्राहक एक भंगी जाति के व्यक्ति के बाल काटने से मना कर रहे हैं। वायरल वीडियो यूपी के बदायूँ ज़िले के नूरपुर गांव का बताया जा रहा है। यहाँ एक सैलून पर वाल्मीकि जाति का एक युवा बाल कटवाने पहुँचा था लेकिन हज़ाम ने ये कहकर उसकी हजामत करने से मना कर दिया कि तुम भगीं हो, मेरी दुकान पर बाल नहीं कटेंगे।
दलित शख्स ने किया कड़ा विरोध
इस सैलून वाले और उसके ग्राहकों के दिमाग़ में भरी गंदगी मुँह के रास्ते बाहर आ रही थी और ये मिलकर वाल्मीकि जाति के व्यक्ति को कहीं ओर चले जाने को कह रहे थे… दलित शख़्स ने जब विरोध किया तो कह दिया कि हम रोज़ का हज़ार रुपये दे रहे हैं।
वीडियो वायरल होने पर जागी यूपी पुलिस
अब ये वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहा है। दलित दस्तक के संपादक अशोक दास ने ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा ‘ये वीडियो उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं के दातागंज थाना क्षेत्र के नूरपुर गांव का बताया जा रहा है। यहां आज भी वाल्मिकी जाति के लोगों के बाल हजाम समाज के लोग दुकानों पर नहीं काट रहे हैं। स्थानीय प्रशासन से इंसाफ की उम्मीद है। @Uppolice’
ये वीडियो उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं के दातागंज थाना क्षेत्र के नूरपुर गांव का बताया जा रहा है। यहां आज भी वाल्मिकी जाति के लोगों के बाल हजाम समाज के लोग दुकानों पर नहीं काट रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन से इंसाफ की उम्मीद है। @Uppolice pic.twitter.com/DngS9OYxPt— Ashok Das (@ashokdasDDastak) April 19, 2022
अशोक दास ने यूपी पुलिस से इंसाफ़ की उम्मीद लगाई तो बदायूँ पुलिस ने जवाब दिया कि मामले में जाँच कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। बदायूँ पुलिस ने लिखा ‘प्रकरण के संबंध में संबंधित थाना प्रभारी को जांचकर प्रभावी विधिक कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है।’
पुलिस की माने तो अब सैलून वाले के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी। कार्रवाई होनी भी चाहिए क्योंकि ऐसी घटिया जातिवादी मानसिकता वाले लोगों को असल ठिकाना जेल हैं। ऐसे मानसिक रोगियों को खुला नहीं छोड़ा जा सकता जो इंसान और इंसान में भेद करते हों। वैसे ये वीडियो उन लोगों के लिए भी आईना दिखाने का काम करता है जो ये कहते हैं कि अब जातिवाद नहीं होता।
ब्यूरो रिपोर्ट, द न्यूज़बीक