किसानों का समर्थन करने पर अमेरिकी मॉडल और एक्स पॉर्न स्टार मिया ख़लीफ़ा के ख़िलाफ़ अंधभक्तों ने ज़हर उगलना शुरू कर दिया था। तो वहीं गोदी मीडिया मिया के बयान को भारत को बदनाम करने और अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप बताकर प्रोपेगेंडा कर रहा था। लेकिन मिया ख़लीफ़ा ने महज़ 1 मिनट 24 सेकंड के वीडियो से अंधभक्तों और गोदी मीडिया को चारों खाने चित कर दिया है। मिया ख़लीफ़ा ने अपने दोस्तों की ओर से भेजे गए इंडियन खाने का लुत्फ़ उठाया, समोसे का स्वाद चखा और गुलाब जामुन की मिठास का आनंद लेकर भक्तों को चासनी में डुबो दिया।
आप भी सुनिए मिया ने क्या कहा?
वीडियो में वो कहती हैं ‘खूब मेहनत करना और कुछ हासिल करना बहुत अच्छा होता है जैसे मैंने ये मज़ेदार डिनर हासिल किया। सबसे पहले मैं रूपी को ये डिनर भेजने के लिए शुक्रिया कहती हूँ, ये उस मानवतावादी प्रोपेगेंडा के एवज़ में है जो मैं सोशल मीडिया पर पोस्ट करती हूँ। स्वादिष्ट मिठाई के लिए जगमीत का भी शुक्रिया। मैं फ़ोन रख देती हूँ ताक़ि हम सब साथ में इसका आनंद लें। मैं लोगों को याद दिला दूँ कि हर किसी की एक क़ीमत होती है। मेरी क़ीमत है समोसा…मुझे समोसे में ख़रीदा जा सकता है। ये मत भूलना। बाकियों का तो मुझे नहीं पता लेकिन ये मेरे लिए काफ़ी है। मेरे लिए ये काफ़ी है। मैं किसी के लिए भी उपलब्ध हूँ जो इससे बेहतर समोसा मुहैया कराए। जब तक किसान हैं… क्योंकि… ताज़ा आलू सच में मज़ेदार हैं। मैं कभी नहीं समझी की मिठाई बाद में क्यों खाते हैं? छोटे से स्वीट ब्रेक में कोई बुराई नहीं है। मज़ेदार… बहुत शुक्रिया’
‘एक गुलाब…फासीवाद को रखे दूर’
मिया ने इस वीडियो को शेयर करते हुए ये भी लिखा कि दिन में एक गुलाब फासीवाद को दूर रखता है।
Thank you @rupikaur_ for this beautifully harvested feast, and thank you @theJagmeetSingh for the Gulab!!! I’m always worried I’ll get too full for dessert, so I eat it during a meal. You know what they say, one Gulab a day keeps the fascism away! #FarmersProtests pic.twitter.com/22DUz2IPFQ
— Mia K. (@miakhalifa) February 7, 2021
मशहूर सिंगर रिहाना, इंवायरमेंट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और मिया ख़लीफ़ा जैसी बड़ी हस्तियों ने पूरी दुनिया का ध्यान किसान आंदोलन की ओर दिला दिया है। ऐसे में भक्त बौरा गए हैं और सोशल मीडिया पर उल्टियाँ करते फिर रहे हैं। आपका इस बारे में क्या सोचना है, कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएँ।
ब्यूरो रिपोर्ट, द शूद्र