लखीमपुरी खीरी में हुए नरसंहार के बाद केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने दावा किया था कि ‘अगर साबित हुआ कि मेरा बेटा वहाँ मौजूद था, तो अपने पद से इस्तीफ़ा दे दूँगा’ लेकिन अब SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने जानबूझकर किसानों को अपनी थार से रौंद दिया था। लेकिन मोदी के मंत्री हैं, जैसे चुनावी वादों की कोई कद्र नहीं, वैसे ही इस्तीफा चैलेंज की भी क्या ही क़ीमत है? तभी तो लखीमपुर खिरी मामले में SIT की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद भी वो अपनी कुर्सी से चिपके हुए हैं।
साज़िश के तहत किसानों को रौंदा गया – SIT
दरअसल लखीमपुर में हुई हिंसा के मामले में जांच कर रही SIT ने अदालत से कहा है कि ये वारदात एक सोची समझी साजिश थी। यानी किसानों को गाड़ी से कुचलने को बाकायदा प्लानिंग के तहत अंजाम दिया गया था। SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा ने किसानों को जिस तरह से अपनी थार से कुचल डाला था, वो कोई एक्सिडेंट नहीं था बल्कि आशीष मिश्रा ने एक सोची समझी साज़िश के तहत किसानों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। इस मामले में आशीष मिश्रा और 12 अन्य अभियुक्तों के खिलाफ केस चल रहा है।
3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा के क़ाफ़िले की गाड़ियों से रौंद कर 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या करने का आरोप है। इसके बाद भड़की हिंसा में 4 और लोगों की मौत हो गई थी।
SIT ने न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखा पत्र
SIT ने लखीमपुर खीरी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखे पत्र में कहा है, “अब तक की गई जांच और मिले सबूतों से यह साबित हुआ है कि अभियुक्त द्वारा उक्त आपराधिक कृत्य को लापरवाही या उपेक्षा से नहीं बल्कि सोची समझी साज़िश के मुताबिक जान से मारने की नीयत से किया गया है जिससे पांच लोगों की मौत हो गयी और कई गंभीर रूप से घायल हुए’
यानी ये हत्या ग़ैर–इरादत नहीं बल्कि इरादतन की गई थी। SIT ने इस मामले में आशीष मिश्रा और उसके साथियों पर IPC की धारा 307 (इरादतन हत्या का मामला), धारा 326 (हत्या के इरादे से हथियार या उपकरण से चोट पहुँचाने) और आर्म्स एक्ट” जैसी धाराएं शामिल करने को कहा है।
कब इस्तीफा देंगे अजय मिश्रा टेनी ?
अगर जाँच निष्पक्ष ढंग से चलती रही तो मोदी के मंत्री के बेटे को सज़ा होकर रहेगी। मंगलवार को अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी जेल में बंद अपने बेटे से मिलने पहुँचे थे। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आख़िर मोदी अपने मंत्री का इस्तीफ़ा कब लेंगे? नरेंद्र मोदी गंगा में डुबकी लगाकर अपने पाप धोने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनके मंत्री के बेटे ने मासूम किसानों की बर्बर हत्या कर जो पाप किया, उसे वो कब धोएँगे?
सवाल तो ये भी है कि अपने बेटे पर आरोप साबित होने के बाद ख़ुद ही इस्तीफ़ा दे देने का चैलेंज करने वाले मंत्री अब अपनी ही बात पर अमल क्यों नहीं कर रहे? अब जब SIT ने अपनी प्रारंभिक जांच में ये साफ कर दिया है कि आशीष मिश्रा और उसके साथी ना सिर्फ इस जघन्य वारदात में शामिल थे, बल्कि उन्होंने पूरी प्लानिंग के तहत इस नरसंहार को अंजाम दिया तो भला अजय मिश्रा अब किस बात का इंतजार कर रहे हैं?
यूं तो नैतिक आधार पर उन्हें उसी वक्त इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन कम से कम अब तो उन्हें थोड़ी बहुत मर्यादा रखते हुए तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। ऐसा करना इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए भी जरूरी है। क्योंकि अजय मिश्रा टेनी देश के गृह राज्य मंत्री हैं और ऐसे में इस बात कि आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि वो जांच को प्रभावित कर सकते हैं, सबूतों को मिटा सकते हैं और गवाहों को डरा-धमका सकते हैं।
ऐसे में न्याय तो यही कहता है कि उन्हें अपने पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। लेकिन अगर वो खुद ऐसा नहीं करते तो कम से कम पीएम मोदी को उन्हें तुरंत पद से हटा देना चाहिए और उसी तरह किसानों से माफी मांगनी चाहिए जैसी कि उन्होंने तीनों कृषि कानूनों की वापसी का एलान करते वक्त मांगी थी। आखिर एक ऐसे मंत्री को इतने अहम पद पर क्यों रखना जिसपर किसानों के खून के छींटे लगे हैं। लेकिन क्या नरेंद्र मोदी इतनी हिम्मत जुटा पाएंगे? क्या यूपी चुनाव के मद्देनज़र ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखने वाले अपनी मंत्री को कुर्सी से हटाने जैसा जोखिम वो उठा पाएंगे?