बहुजन परंपरा में कबीर जैसे महानायकों का जीवन हम सबके लिए एक प्रेरणा है, इसीलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं बहुजन नायक कबीर के 10 ऐसे दोहे जो ना सिर्फ जातिवाद, पाखंडवाद और ब्राह्मणवाद की मुखालफत करते हैं बल्कि हमें अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं।
कबीर के ये दोहे जितने 500 साल पहले ज़रूरी थे, उतने आज भी हैं। हमें उम्मीद है कि इन दोहों से आपको कुछ ना कुछ अच्छी सीख ज़रूर मिलेगी। बहुजन परंपरा से आने वाले कबीर जैसे महानायकों की वाणी हम सबके लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
समतामूलक समाज को बनाने का ख़्वाब जो हमारे महानायक और महानायिकाओं ने देखा था, उसे हम उन्हीं के विचारों पर चलकर सच कर सकते हैं। कबीर के ऐसे टॉप-10 दोहे जो ब्राह्मणवाद की बखिया उधेड़कर रख देते हैं, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर देखें।
कबीर के जन्म के बारे में किस तरह ब्राह्मणों ने झूठी कहानी बना दी थी, जानिए ‘विधवा ब्राह्मणी’ का असली सच। IPS अनिल किशोर यादव की ज़ुबानी।
संत कबीर ने हमेशा ब्राह्मणवाद को चुनौती दी। ब्राह्मण कहते थे कि जो काशी में मरेगा वो स्वर्ग में जाएगा और जो मगहर में मरेगा वो गधा बन जाएगा। इस पर कबीर ने कहा ‘क्या काशी क्या उसर मगहर’ यानी काशी और मगहर में क्या फर्क है? ऐसा कहते हुए कबीर खुद मगहर पहुंचे और अपनी अंतिम सांस मगहर में लेकर इस झूठ को गलत साबित किया। देखिए मगहर से खास पेशकश।