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The News Beak की खबर का असर, अब लॉ ऑफिसर की नियुक्तियों में आरक्षण देगी पंजाब सरकार

आम आदमी पार्टी की सरकार को झुकना पड़ा और AG दफ़्तर में बहुजनों के लिए अलग से 58 पद जारी करने पड़े।

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पंजाब में बहुजनों की हकमारी के ख़िलाफ़ द न्यूज़बीक की मुहिम का असर हुआ है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की जो सरकार पहले दलितों को अटॉर्नी जनरल के दफ़्तर में नौकरियों में आरक्षण नहीं दे रही थी, उसे अब झुकना पड़ा है। पंजाब की भगवंत मान सरकार दलितों को मिलने वाले आरक्षण के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट पहुँच गई थी लेकिन बहुजनों की ताक़त के आगे अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को झुकना पड़ा। 

क्या है पूरी खबर ?

दरअसल पंजाब सरकार ने फ़ैसला लिया है कि अब एटॉर्नी जनरल के दफ़्तर में होने वाली नियुक्तियों में दलितों को आरक्षण दिया जाएगा। AG दफ्तर में लॉ ऑफिसर की नियुक्ति में पंजाब सरकार आरक्षण सिस्टम लागू करेगी। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने ख़ुद ये जानकारी दी है कि पंजाब के AG कार्यालय में SC समुदाय के लिए 58 अतिरिक्त पद जारी किए गए हैं। 

पहले आरक्षण देने से किया था मना 

इससे पहले भगवंत मान सरकार ने ही चरणजीत सिंह चन्नी के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें उन्होंने AG दफ्तर में लॉ ऑफिसर की नियुक्ति में दलितों के लिए आरक्षण लागू करने का फैसला दिया था। SC कमीशन के फैसले को चुनौती देते हुए मान सरकार ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ये हलफनामा दिया था कि आरक्षण से मेरिट का नुकसान होता है इसलिए लॉ ऑफिसर जैसी अहम नियुक्तियों में आरक्षण लागू नहीं कर सकते लेकिन अब मान सरकार को झुकना पड़ा।

द न्यूज़बीक-द शूद्र ने उठाया था मसला 

द न्यूज़बीक और द शूद्र पर हमने लगातार इस मामले पर कवरेज की थी। हमने आपको बताया कि कैसे बाबा साहब की तस्वीरों का इस्तेमाल करने वाली आप सरकारें बहुजनों के आरक्षण की चोरी कर रही हैं। (रिपोर्ट देखने के लिए क्लिक करें) हमने आपको ये भी बताया कि कैसे भगवंत मान सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा था कि आरक्षण से मेरिट का नुक़सान होता है और इसलिए AG दफ़्तर में आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता। हमने आपको ये भी ख़बर दिखाई थी कैसे अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में ये बहाना बना दिया था कि अगर दूसरे राज्यों में आरक्षण मिलता है तो उसे आँकड़े दिखाओ। (रिपोर्ट देखने के लिए क्लिक करें)

खबर हुआ असर, बहुजनों को मिला हक 

द न्यूज़बीक ने पूरी ज़िम्मेदारी से बहुजनों की हकमारी के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ी। यूट्यूब से लेकर फ़ेसबुक और ट्विटर से लेकर वेबसाइट तक, हमने लगातार इस बारे में ख़बरें प्रकाशित की और अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को टैग करके सवाल पूछे कि आख़िर वो बहुजनों के आरक्षण की चोरी क्यों कर रहे हैं?

बहुजन समाज ने भी इस मुहिम में समर्थन दिया और इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। हमारी मुहिम को वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल जैसे लोगों का भी साथ मिला और उन्होंने भी अरविंद केजरीवाल सरकार से सवाल पूछे।

कुल मिलाकर बहुजन मीडिया ने इस पूरे मसले को लगातार सुर्खियों में बनाए रखा जिसके बाद आख़िरकार आम आदमी पार्टी की सरकार को इस मामले में झुकना पड़ा और AG दफ़्तर में बहुजनों के लिए अलग से 58 पद जारी करने पड़े।

बहुजनों की जागरुकता और सामूहिक एकता ने उनकी हकमारी को रोक दिया। हम इसीलिए कहते हैं कि बहुजन मीडिया ही आपका अपना मीडिया है, बहुजन मीडिया को ताक़तवर बनाएँ और मनु मीडिया से सावधान रहें। 

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