देश की न्यायपालिका में चंद जातियों का कितना भयंक दबदबा, इसका अंदाजा आपको ये रिपोर्ट पढ़ के हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के वकील नितिन मेश्राम ने सुप्रीम कोर्ट के बाद देश के अलग-अलग हाईकोर्ट के जजों का जातिवार विश्लेषण पेश किया है। नितिन मेश्राम ने देश के 25 हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के बारे में डायवर्सिटी रिपोर्ट जारी की, हैरानी की बात ये है कि 25 चीफ जस्टिस में से एससी-2 और ओबीसी-1 जज हैं जबकि इन कोई भी आदिवासी किसी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की कुर्सी पर नहीं बैठा है। नितिन मेश्राम के मुताबिक… 25 हाईकोर्ट चीफ जस्टिस में ब्राह्मण – 4, भूमिहार – 2, नायर – 2, कायस्थ – 4, वैश्य – 5 (मित्तल-2, खत्री-2, माहेश्वरी-1), राजपूत – 1, शूद्र – 1, ओबीसी – 1, एससी – 2, एसटी – 0, मुस्लिम – 2, लिंगायत – 1, क्रिश्चियन – 0 और महिला – 1 चीफ जस्टिस हैं।
https://twitter.com/jaibhimworld/status/1299708797884137472
इससे पहले नितिन मेश्राम ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की जातिवार लिस्ट जारी कर भी हर किसी को हैरान कर दिया था।देश की सबसे बड़ी अदालत में सिर्फ एक दलित जज है तो वहीं ओबीसी के महज़ 2 जज हैं। वहीं अनुसूचित जनजाति का एक भी जज नहीं है।
नितिन मेश्राम के मुताबिक फिलहाल उच्चतम न्यायालय में कुल 31 जज हैं। उसमें से ब्राह्मण-12, वैश्य-6 (खत्री-2, पारसी-1, अन्य-3), कायस्थ-4 (कम्मा-2, मराठा-1, रेड्डी-1), ओबीसी-2, ईसाई-1, मुस्लिम-1, एससी-1, एसटी-0, महिलाएं-2 हैं।
https://twitter.com/jaibhimworld/status/1297375581026181123
This is happening due coligiam system of pointing the judges. During selection they help each other and no entry to the other. The best solution there should be a commission to point judges instead of coligiam
Inone to jativad faila rakha hai ST kya jaj banne layak nahin hai kya