‘एक बहादुर व्यक्ति के लिए आत्म-सम्मान से रहित जीवन जीने से शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता’ बाबा साहब डॉ आंबेडकर का ये कथन बताता है कि ताउम्र उन्होंने जो लड़ाई लड़ी, वो आत्म-सम्मान, बराबरी और गरिमा के साथ जीवन जीने के हक के लिए थी। जिस समुदाय की पीढ़ियों को सिर उठाकर चलने तक का अधिकार नहीं था, उस समुदाय से निकल कर एक आदमी सफलता की बुलंदियों तक पहुंच गया। बाबा साहब के जीवन का ये दर्शन आज भी उनके अनुयायियों को प्रेरणा देता है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज के स्टाफ रेजिडेंट कॉम्प्लेक्स के बंगला नंबर 11, इंपेरियल एवेन्यू के शानदार गेट से जब आप दाखिल होंगे तो बीच आंगन में बाबा साहब डॉ आंबेडकर प्रतिमा को देखकर आत्म-सम्मान से जीने की प्रेरणा लेंगे। इस प्रतिमा के नीचे लिखा है ‘Nothing is more disgraceful for a brave man than to live a life devoid of self-respect – Dr Ambedkar’
बाबा साहब के इस कथन को शानदार तरीके से जीते हैं डॉ रतन लाल। हिंदू कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर रतन लाल Ambedkarite Style of Living के फॉर्मूले पर चलते हैं। उनका घर अक्सर सुर्खियों में रहता है क्योंकि उन्होंने अपने तरीके से मनुवादियों को जवाब दिया और अपने बंगले को एक फाइव स्टार रिज़ॉर्ट की तरह बना दिया और वो भी अपनी जेब से लाखों रुपये खर्च करके। डॉ रतन लाल कहते हैं ‘सम्मान से जीना मेरा संवैधानिक अधिकार है। आखिर सारी लड़ाई आत्म-सम्मान की ही तो है’
डॉ रतन लाल से द शूद्र के फाउंडिंग एडिटर सुमित चौहान ने खास बातचीत की और जाना कि क्यों उन्होंने एक सरकारी आवास पर 18 लाख से ज्यादा रुपये खर्च किए और बाबा साहब डॉ आंबेडकर की प्रतिमा को अपने घर के आंगन में स्थापित किया? देखिए हमारी खास पेशकश ‘Self Respect…An Ambedkarite Style of Living’