पिछले कुछ दिनों से बीएसपी सुप्रीमो मायावती यूपी की योगी सरकार को लेकर हमलावर हैं… ख़ासकर यूपी में बदहाल क़ानून व्यवस्था और दलितों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर वो लगातार योगी सरकार को घेर रही हैं। लेकिन मायावती के इस आक्रामक रुख़ के जवाब में बीजेपी सरकार ने उनपर कार्रवाई करने का मन बना लिया है।
दरअसल योगी सरकार ने मायावती के ख़िलाफ़ सीएजी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तत्कालीन बीएसपी सरकार ने गाज़ियाबद में एग्चिकल्चरल ज़मीन का लैंड यूज़ बदल कर उसे रेज़िडेंशियल लैंड बना दिया था। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक़ इस पूरी प्रक्रिया में लैंड यूज़ बदलने के लिए जो कंवर्ज़न चार्ज लेना चाहिए था, वो भी नहीं लिया गया।
1.यूपी में कल मैनपुरी में दलित सर्वेश कुमार की दबंगों द्वारा पीट-पीट कर की गई हत्या व इसी प्रकार महाराजगंज में गोबिन्द चैहान, शाहजहाँपुर में राजवीर मौर्य, बरेली में वासिद, कुशीनगर में सुधीर सिंह तथा बांदा में विनोद गर्ग (ब्राह्मण) की गोली मार की गई हत्या आदि की घटनायें अति-दुःखद।
— Mayawati (@Mayawati) September 8, 2020
नवजीवन अख़बार के मुताबिक़ सरकार ने कहा है कि तत्कालीन बीएसपी सरकार के इस फ़ैसले से ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) को कुल 572.48 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ और दिल्ली मास्टर प्लान 2021 को नज़रअंदाज़ करते हुए जानबूझकर कुछ डेवलपर्स को फायदा पहुंचाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीडीए ने दिल्ली मास्टर प्लान 2021 में 4,772.19 एकड़ ज़मीन के लिए प्रॉपर्टी डेवलपर्स के लेआउट प्लान्स को मंजूरी दी थी। इसमें से हाई-टेक टाउनशिप के रूप में 3,702.90 एकड़ ज़मीन चिन्हित की गई थी।
सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नियमों के ख़िलाफ़ जाकर एग्रिकल्चरल भूमि को उप्पल चड्ढा हाईटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और सन सिटी हाई-टेक इंफ़्रा प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित कर दिया गया। इस दौरान ज़मीन का लैंड यूज़ बदला गया लेकिन डेवलपर्स से कोई कंवर्जन चार्ज नहीं लिया गया। सीएजी ने कहा है कि तत्कालीन यूपी सरकार ने 23 अप्रैल 2010 को एक ऑर्डर जारी किया था जिसके बाद से आर्थिक गड़बड़ियाँ हुई हैं।
योगी सरकार ने इसी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई का आदेश दिया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि सीएजी की रिपोर्ट को आए काफ़ी वक़्त हो गया… अब तक योगी सरकार ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया था? ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या लॉ एंड ऑर्डर पर बुरी तरह फेल हो चुकी योगी सरकार मायावती के आक्रामक रुख़ के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई कर रही है?
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