इलाहाबाद के झूसी स्थित जी.बी. पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट में बड़े आरक्षण घोटाले का मामला सामने आया है। डायरेक्टर बद्री नारायण तिवारी की अगुवाई में असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर सिर्फ सवर्णों को नौकरी दे दी गई और उसमें से भी ज्यादातर ब्राह्मण हैं। लेकिन OBC के आरक्षित पदों को ये कहकर खाली छोड़ दिया गया कि ‘None Found Suitable’ यानी ‘कोई लायक उम्मीदवार’ मिला ही नहीं। NFS के बहाने ओबीसी की हकमारी हुई है। अकादमिक संस्थानों में इस तरह से ओबीसी के स्वीकृत पदों को भी नहीं भरने की साज़िश अक्सर सामने आती रहती है।
यूपी ही नहीं, देश भर के बहुजन नौजवानों की मेरिट पर निहायत घटिया व अतार्किक हमला है #NFS. नन फाउंड सुटेबल देश का सबसे ख़तरनाक़ घोटाला है. उन सभी संस्थानों की सभी नियुक्तियों की फाइल निकलवा कर जाँच कीजिए, आपको ज्ञान के सत्ता प्रतिष्ठानों का असली जातिवादी चेहरा दिख जाएगा.#NFSScame pic.twitter.com/uYnBf2wNPy
— Laxman Yadav (@DrLaxman_Yadav) December 7, 2021
शॉर्टलिस्ट सूची भी फ्रॉड है और फाइनल सेलेक्शन भी
पंत संस्थान ने UR के लिए 16, EWS के लिए 9 और OBC के लिए भी 16 अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया। इन्हें API (एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स) के घटते क्रम में रखा गया। यानी असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बनने की न्यूनतम अर्हता, पात्रता लिए हुए पात्र उम्मीदवारों की सूची। अब ध्यान से इन तीनों सूचियों को बारीकी से देखिए।
UR – 93 से 87
EWS – 87 से 81
OBC – 93 से 83 यानी 93 से 87 तक API के अभ्यर्थी UR में शामिल किए गए। 87 के बाद 81 तक आने वाले सवर्ण अभ्यर्थी EWS में शामिल किए गए। मगर OBC की सूची में 93 से 83 तक API वालों को शामिल कर दिया गया। जबकि 87 से ऊपर API के OBC को UR में नहीं रखा गया, यानी UR जिसे अनारक्षित यानी ‘ओपन फ़ॉर ऑल’ होना चाहिए था, वह रिज़र्व फ़ॉर सवर्ण हो गया। यानी 50 फीसदी आरक्षण सवर्णों को दे दिया गया।
मेरिट के नाम पर खुला जातिवाद
बहरहाल! अंतिम परिणाम में चयनित अभ्यर्थियों के API की तुलना करना इसलिए भी ज़रूरी है, ताकि ‘मेरिट’ के नाम पर किए जा रहे खुल्लमखुल्ला जातिवाद को बेनक़ाब किया जा सके।
UR में चयनित की API
अविरल पांडे – 91
निहारिका पांडे – 93
EWS में चयनित की API
माणिक कुमार – 81
OBC में शॉर्टलिस्टेड की API
मोहम्मद शाहनवाज – 93
शैलेंद्र कुमार सिंह – 91.5
अब इस सवाल पर विचार कीजिए कि किस पैमाने पर 91 API से ऊपर वाले मोहम्मद शाहनवाज और शैलेंद्र कुमार सिंह OBC में सुटेबल नहीं हुए? 81 API वाला माणिक कुमार EWS के लिए सुटेबल हो गया, मगर 93 वाला शाहनवाज OBC पद पर सुटेबल नहीं मिला? यहाँ मेरिट नहीं, जाति केंद्र में है, क्योंकि बोर्ड में बहुसंख्यक ब्राह्मण बैठकर सुटेबिलिटी देख रहे थे।
यह मांग होनी चाहिए
1. यह पूरी नियुक्ति फ़्रॉड है. इसे तत्काल रद्द किया जाए।
2. यह प्रावधान किया जाए कि कहीं भी किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षित सीटों पर NFS नहीं किया जा सकता है।
3. इंटरव्यू बोर्ड के सभी सदस्यों का नाम अंतिम परिणाम के साथ जारी किया जाए।
4. अंतिम चयन इंटरव्यू मात्र से न होकर 85% API व 15% इंटरव्यू के नम्बर जोड़कर हों।
जब तक यह सब नहीं होगा, देश के दलित, पिछड़े, आदिवासी नौजवानों की हक़मारी कभी NFS के नाम पर, तो कभी विचारधारा के नाम पर होती चली आई है और होती चली जाएगी. ऐसे में वैसा विश्वविद्यालय, वैसा शैक्षणिक संस्थान या वैसा देश कभी नहीं बन सकता है, जैसा भारत को संविधान लागू होने के बाद बनना था. न तो सबको सबके हिस्से का न्याय मिलेगा और न अवसर. फिर कैसा देश?