- 71 साल पहले आज ही के ऐतिहासिक दिन भारतीय संविधान को अपनाया गया था.
- तब से लेकर आज तक दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान भारतीय अखंडता का प्रतिक बना हुआ है.
- यह जिताना कठोर है उतना ही लचीला भी, भारतीय संविधान डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किया गया था.
संविधान का मसौदा
संविधान दिवस हर वर्ष 26 नवंबर को देश में मनाया जाता है, इसी दिन भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था. 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने से पहले 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया गया था. संविधान सभा के सदस्यों का पहला सेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित हुआ इसमें संविधान सभा के 207 सदस्य थे. भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबडेकर ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे. संविधान सभा के सदस्यों द्वारा इसकी दो कॉपियां हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई जिसपर हस्ताक्षर किए हए.
डॉ. भीमराव अम्बेडकर और संविधान
संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है. इस संविधान को दुनिया के तमाम सभी संविधानों को परखने के बाद तैयार किया गया था. यही कारण है भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 104 संशोधन शामिल हैं. यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं. इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा था.
हिंदी और अंग्रेजी में किया गया तैयार
संविधान को तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना की गई थी और इसके अध्यक्ष के तौर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की नियुक्ति हुई थी. संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित और कॉलीग्राफ्ड थी. इसकी खास बात यह है कि इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था. संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षप किए और इसे दो दिन बाद लागू किया गया.
इन देशों के संविधान से ली गई मदद
इस दिन स्कूलों में बच्चों को संविधान की प्रस्तावना एवं मौलिक कर्तव्यों की जानकारी दी जाती है.संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना, समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना है. दस देशों से भारतीय संविधान को प्रेरित माना जाता है. वैसे हमारी संवैधानिक व्यवस्था और संस्थानों पर ब्रिटिश संविधान का सबसे ज्यादा असर दिखाई देता है. इसके अलावा आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी सहित कई देशों के संविधानों के प्रावधानों को इसमें जगह दी गई है.
इसमें ब्रिटेन से संसदीय व्यवस्था, कानून का शासन, एकल नागरिकता और न्यायिक याचिका को शामिल किया गया है. जबकि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से मूल अधिकार, ज्यूडिशियल रिव्यू, देश के राष्ट्रपति और जजों के खिलाफ महाभियोग के प्रावधान को जगह दी गई है. इतना ही नहीं आयरलैंड से राज्य के नीति निर्देशक तत्व, कनाडा से संघीय स्वरूप के साथ मजबूत केंद्र, फ्रांस से स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व, ऑस्ट्रेलिया से देश भर में व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों की आजादी, दक्षिण अफ्रीका से संविधान में संशोधन और जर्मनी से आपातकाल में मूल अधिकारों को निलंबित रखने का प्रावधान भी जोड़ा गया है। जो हमारे संविधान को जटिलता के साथ-साथ उसे लचीला रुप प्रदान करता है.