आसमान में 14 सौ किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ान भरने वाले फाइटर जेट राफ़ेल की डील में महाघोटाले की बड़ी ख़बर आई है। दरअसल एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राफ़ेल की डील कराने को लेकर भारत में कुछ दलालों को करोड़ों की घूस दी गई थी। भारत की मीडिया ने खबर नहीं छापी है… क्योंकि भारतीय मीडिया तो ख़ुद ही दलाल है। दरअसल ख़बर छपी है फ्रांस के एक पब्लिकेशन में।
8 अक्टूबर 2019 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लाल टीका लगाकर जिस राफ़ेल की पूजा की थी, अब उसी राफ़ेल जेट की डील में दलाली का जिन्न निकल आया है। 60 हज़ार करोड़ के देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे पर फ़्रांस के एक पब्लिकेशन ने दावा किया है कि राफ़ेल बनाने वाली फ़्रांसीसी कंपनी दसॉ ने भारत में एक बिचौलिये को एक मिलियन यूरो… यानी साढ़े 8 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा की रकम बतौर गिफ़्ट देनी पड़ी थी।
50,8,925 यूरो दलाल को दिए ?
फ्रांस के ‘मीडियापार्ट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि साल 2016 में जब भारत और फ़्रांस के बीच राफ़ेल फाइटर जेट को लेकर डील हुई तो उसके बाद राफ़ेल बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन ने भारत में एक बिचौलिये को ये पैसा दिया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2017 में दसॉ ग्रुप के अकाउंट से 50,8,925 यूरो ‘गिफ़्ट टू क्लाइंट्स’ के तौर पर ट्रांसफ़र किए गए।
कागज़ों पर बनाए राफेल के 50 मॉडल
ये गिफ़्ट टू क्लाइंट्स असल में वो घूस थी जो किसी दलाल को दलाली की एवज़ में दी जा रही थी। इस दलाली का भंडाफोड़ तब गुल जब फ़्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी AFA ने दसॉ के खातों का ऑडिट किया। मीडियापार्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब AFA ने भंडाफोड़ कर दिया तो दसॉ एविएशन की ओर से कहा गया कि इन पैसों का इस्तेमाल राफेल लड़ाकू विमान के 50 बड़े मॉडल बनाने में हुआ था…. लेकिन असल में ऐसे मॉडल बने ही नहीं थे। यानी भारत में जैसे सड़क काग़ज़ों पर बनती है और उसका पैसा कोई अफ़सर या मंत्री डकार जाता है, उसी तरह फ़्रांस की दसॉ एविएशन ने बिना राफ़ेल के मॉडल बने ही गिफ़्ट टू क्लाइंट्स के नाम पर करोड़ों बाँट दिए।
फ्रांस सरकार ने नहीं की कोई कार्रवाई
फ़्रांसीसी रिपोर्ट में तो ये भी दावा किया गया है कि ऑडिट में इतना बड़ा खुलासा होने के बाद भी दसॉ एविएशन पर फ़्रांस की सरकार या जस्टिस विभाग ने कोई एक्शन नहीं लिया। मीडियापार्ट ने एक्शन ना होने के पीछे भी भ्रष्टाचार और मिलीभगत का आरोप लगाया है। साल 2018 में Parquet National Financier (PNF) ने इस डील में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की थी जिसके बाद फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी ने ऑडिट किया और इतना बड़ा खुलासा हो गया है।
खुलासा तो फ़्रांस में हुआ लेकिन भूचाल भारत में आ गया। पहले ही राफ़ेल डील को तय क़ीमत से कहीं ज़्यादा पैसे में ख़रीदने के कारण मोदी सरकार घिरी हुई है ऐसे में दलाली के आरोपों के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार को लपेटने में कोई देर नहीं की। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे में जमकर दलाली हुई है।
₹60,000 Cr से अधिक के देश के सबसे बड़ा रक्षा सौदे में कमीशनखोरी, बिचौलियों की मौजूदगी व पैसे के लेन-देन ने #Rafaledeal की परतें खोल दी!
राहुल गांधी जी की बात सच साबित हुई!
न खाऊँगा ना खाने दूँगा की दुहाई देने वाली मोदी सरकार में अब कमीशनखोरी व बिचौलियों की मौजूदगी सामने आ गई! pic.twitter.com/WSUrlX8Q8y
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 5, 2021
बीजेपी ने सभी आरोपों को नकार दिया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और कैग इस मामले में पहले क्लीन चिट दे चुके हैं। लेकिन फ़्रांसीसी मीडिया के खुलासे के बाद ये सवाल तो उठ खड़ा हुआ है कि क्या ना खाऊँगा और ना खाने दूँगा का नारा देने वाली पीएम मोदी के राज में दलाल खाने की जगह सीधे होम डिलीवरी करा रहे हैं? सवाल तो पूछा जाएगा कि भ्रष्टाचार रोकने का दावा करने वाली मोदी सरकार के नाक के नीचे आख़िर वो कौन था जिसे दसॉ कंपनी ने करोड़ों की घूस दी?