मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को कॉलेजों में यूजी कोर्स के ऑनलाइन प्रवेश की पहली लिस्ट जारी करते हुए ओबीसी के छात्रों के अधिकारों पर चाबुक चला दिया है। बता दें होलकर साइंस कॉलेज में प्रत्येक वर्ष बीएससी पीसीएम का जो कटऑफ जनरल कैटेगरी में 92 फीसदी या उससे ज्यादा होता था,वो इस बार 81.4 फीसदी पर कर दिया गया है। जबकि हर साल ओबीसी कैटेगरी का 86 से 89 फीसद तक रहने वाला कटऑफ इस बार सर्वाधिक 91 प्रतिशत कर दिया गया है। जो की साफ साफ आरक्षण के नियमों के उल्लंघन को दर्शा रहा है।
छात्रों को अलॉट हुआ कॉलेज व कोर्स
इस बार ज्यादातर कॉलेजों को सीटों की तुलना में लगभग 70 से 95 फीसदी अलॉटमेंट दिया गया है। यूजी कोर्स की इस लिस्ट में ज्यादातर छात्रों को कोई न कोई कॉलेज व कोर्स अलॉट किया गया है। इसमें से भी ज्यादातर छात्र को पहली तो कुछ को दूसरी पसंद का कोर्स अलॉट किया गया है।
ये व्यापम से भी बड़ा घोटाला – दिलीप मंडल
इस मामले में ट्वीट कर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने कहा कि, ये व्यापम से भी बड़ा घोटाला है। नियम ये है कि पहले अनरिजर्व सीटें भरी जाएँगी। जिसमें सभी आएँगे। बाद में कैटेगरी की भरी जाएँगी। ऐसा न होने से अनरिजर्व सीटें सवर्णों के लिए रिज़र्व हो जाएँगी। मध्य प्रदेश में मंडल कमीशन और संविधान की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। ओबीसी नेता चुपचाप हैं।
ये व्यापम से भी बड़ा घोटाला है!
नियम ये है कि पहले अनरिजर्व सीटें भरी जाएँगी। जिसमें सभी आएँगे। बाद में कटेगरी की भरी जाएँगी। ऐसा न होने से अनरिजर्व सीटें सवर्णों के लिए रिज़र्व हो जाएँगी। मध्य प्रदेश में मंडल कमीशन और संविधान की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। ओबीसी नेता चुपचाप हैं। pic.twitter.com/h0C3CgYDRD
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 21, 2021
मध्यप्रदेश में आरक्षण से खिलवाड़
आरक्षण की व्यवस्था के अनुसार सबसे ऊपर जनरल का कटऑफ उसके बाद ही ओबीसी का कटऑफ घटते हुए क्रम में होना चाहिए लेकिन मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में तो आरक्षण के मानदंडों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, और ओबीसी के विद्यार्थियों के हितों और उनके भविष्य से खिलवाड़ करते हुए उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
एमपी में ओबीसी को मिलता है सिर्फ 14 % आरक्षण
एमपी में ओबीसी समाज को सिर्फ 14 % आरक्षण ही मिलता है जबकि पिछले दिनों कोर्ट में जारी किए गए जातिवार जनगणना के आंकड़ों से पता चला था कि एमपी के कई जिलों में तो ओबीसी की आबादी 55 % से भी ज्यादा है, लेकिन फिर भी ना ही शिवराज सरकार आरक्षण का दायरा बढ़ा रही है और ना ही संवैधानिक आरक्षण के नियमों का पालन कर रही है।