ग्वालियर में नाबालिग दलित लड़की से दुष्कर्म हुआ और पुलिस ने इस पूरे मामले में मानवता को कलंकित करने का काम किया। जिसके चलते हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सीबीआई को मामला सौंपने का आदेश दिया है। पांच पुलिसकर्मियों में मुरार थाना के टीआई अजय पवार, एसआई कीर्ति उपाध्याय, एएसपी शहर सुमन गुर्जर, सीएसपी मुरार आरएन पचौरी और टीआई सिरोल प्रीति भार्गव का नाम शामिल है।
क्या था पूरा मामला ?
पीड़िता सीपी कॉलोनी में गंगा सिंह भदौरिया के मकान में खाना बनाने और साफ-सफाई करने का काम करती थी। उसे काम पर 20 दिसंबर को रखा गया था। वो उसी घर में रहती थी। उसकी उम्र 15 साल है। जब 31 जनवरी की रात 8:00 बजे वो खाना बना रही थी। आरोपी है कि उस वक्त गंगा सिंह भदौरिया का नाती आदित्य अपने एक दोस्त के साथ घर आया और दोनों ने पीड़िता का मुंह और हाथ पैर बांधकर दुष्कर्म किया। पीड़िता के मुताबिक जब उसने गंगा सिंह भदौरिया को ये सब बताया तो उन्होंने जाति सूचक गालियां दी और कहा कि किसी को कुछ बताया तो जान से मार दूंगा।
पुलिसकर्मियों ने मानवता को किया शर्मसार
पीड़िता के मुताबिक जब मुरार थाने में शिकायत दर्ज कराने गई तो रात 11:00 बजे एफआईआर दर्ज की गई। माता-पिता के मौजूद ना होने की वजह से उसका मेडिकल नहीं हो पाया और रात भर उसे थाने में बैठाकर रखा गया। आरोप है कि अगले दिन पीड़िता से टीआई ने कहा कि गंगा सिंह भदौरिया सीधे इंसान हैं इनके खिलाफ रिपोर्ट क्यों करा रही हो। पीड़िता ने आरोप लगाया कि इसके बाद मुझे एक कमरे में ले जाया गया जहां छह सात पुलिसकर्मी मौजूद थे। उन्होंने पट्टे से मुझे मारा और कहा कि तुम अपने बयान में बोलो कि तुमने पैसों के लिए झूठा केस किया है। उन्होंने इस बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की थी। इसके बाद भी उन्होंने मुझे उल्टा टांग कर मारा और कहा कि तुम कोर्ट में भी वही बयान देना जो हमने दिलवाया है। तुमने ऐसा नहीं किया तो वापस थाने लौटकर आने पर फिर तुम्हें उल्टा टांग कर मारेंगे।
समाज में दलित के खिलाफ हो रहीं ऐसी घटनाएं पावर और जातिवाद का एक भयंकर रूप सामने लातीं हैं।