‘शास्त्री जी कहते थे जय जवान, जय किसान। आज कांग्रेस पार्टी का नारा है मर जवान, मर किसान। जवान की हत्या हो रही है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं।’ 26 मार्च 2014 को नरेंद्र मोदी ने दोपहर पौने तीन बजे ये ट्वीट किया था। बस फ़र्क़ इतना है कि उस समय तक वो प्रधानमंत्री नहीं बने थे।
शास्त्री जी कहते थे जय जवान, जय किसान| आज कांग्रेस पार्टी का नारा है मर जवान, मर किसान| जवान की हत्या हो रही है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं
— Narendra Modi (@narendramodi) March 26, 2014
यानी जिन किसानों को चुनावी मुद्दा बनाकर पीएम सत्ता के शिखर तक पहुँचे, आज उन्हीं किसानों को सड़कों पर यातनाएँ दी जा रही हैं। जिन किसानों की इनकम 2022 तक दोगुनी करने का वादा किया था, आज वही किसान पुलिस की लाठियाँ खा रहा है। जिन किसानों को अच्छे दिनों के सपने दिखाए थे, आज वही किसान वाटर कैनन की तेज़ धार से पीछे धकेला जा रहा है।
#WATCH Water cannon and tear gas shells used to disperse protesting farmers at Shambu border, near Ambala pic.twitter.com/EaqmJLhAZI
— ANI (@ANI) November 27, 2020
पंजाब और हरियाणा से आने वाले हज़ारों किसानों को रोकने के लिए पूरा तंत्र लगा हुआ है। अपने ही देश की राजधानी में दाखिल होने के लिए किसानों को इतना संघर्ष करना पड़ रहा है। सोनीपत में पुलिस ने सड़क को ही खोद दिया कि किसान अपना ट्रैक्टर लेकर आगे ना निकल पाए। लेकिन धरती का सीना फाड़कर अन्न का दाना उपजाने वाला अन्नदाता पीछे हटने को तैयार नहीं है। आज सोनीपत में सुबह की पहली किरण के साथ ही किसानों पर बर्बरता की तस्वीरें भी सामने आईं। सोनीपत की तरफ़ से दिल्ली में दाख़िल होने वाले सिंघु बॉर्डर पर गृह मंत्रालय अमित शाह के अंडर आने वाली दिल्ली पुलिस ने भी मोर्चा सँभाल लिया है। भारी संख्या में पुलिस वाले लाठियाँ लेकर खड़े हैं।
#WATCH: Plumes of smoke seen as security personnel use tear gas to disperse farmers protesting at Singhu border (Haryana-Delhi border).
Farmers are headed to Delhi as part of their protest march against Centre's Farm laws. pic.twitter.com/eX0HBmsGhL
— ANI (@ANI) November 27, 2020
पुलिस किसानों को कोविड-19 की दुहाई दे रही है लेकिन किसान पूछ रहे हैं कि बिहार में सरकार बनाते वक़्त कोरोना कहां चला गया था? कुल मिलाकर किसान क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली कूच को निकले किसान पीछे हटने के मूड में नहीं हैं लेकिन सरकार भी कहां झुकने वाली है।
किसान आंदोलन में आपको गोदी मीडिया की बेशर्मी भी खूब देखने को मिलेगी… तलवे चाटने वाली मीडिया ने किसानों के संघर्ष को देश विरोधी साबित करने का बीड़ा उठा लिया है। गोदी मीडिया कह रहा है कि किसानों को खालिस्तानियों ने मोहरा बना लिया है।
मतलब ये तो हद ही हो गई। पंजाबी किसान खालिस्तानी हो गए, सारे मुसलमान आतंकवादी हो गए, पढ़ा-लिखा हिंदू देशद्रोही हो गया, पढ़ी-लिखी महिला कम्युनिस्ट हो गई, दलित और आदिवासी नक्सली हो गए लेकिन मूर्ख, नफरती, दंगाई और मॉब लिंचिंग करने वाले लोग देशभक्त हो गए। देश का चौथा खंभा प्राइवेट लिमिटेड इस देश का सबसे ज़्यादा नुक़सान कर रहा है।
कितनी गिरी हुई है भारतीय मीडिया । आपकी क्या राय है ? pic.twitter.com/0CjI69rIsi
— The Shudra (@TheShudra) November 25, 2020
सवाल सत्ता से पूछा जाना चाहिए कि क्यों किसानों पर इतनी बर्बरता की जा रही है। क्यों देश का अन्नदाता आज लाठियाँ खा रहा है? क्या किसानों की समस्या को नहीं सुना जाना चाहिए? क्या एक लोकतांत्रिक मुल्क में सरकारों की ये ज़िम्मेदारी नहीं है कि वो देश के अन्नदाता की बात सुने ? जय जवान और जय किसान का नारा देने वाले नेता आख़िर क्यों इतने निष्ठुर हो गए हैं ?
किसान आंदोलन से जुड़ी और भी अहम ख़बरों के लिए आप देखते रहें द शूद्र… आप इस वीडियो को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें।