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कर्नाटक में दलितों के खिलाफ अपराध में आई तेजी, डर की वजह से पलायन को मजबूर हुए लोग

1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच एससी /एसटी समुदाय के खिलाफ अपराध के 2,327 मामले सामने आए हैं

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कर्नाटक: राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच एससी /एसटी समुदाय के खिलाफ अपराध के 2,327 मामले सामने आए हैं। जिसमें हत्या, शोषण, मारपीट और जलाने के अलावा अन्य तरह के मामले शामिल है। ये आंकड़े पिछले वर्ष की तुलना में 54% अधिक बढ़े हैं। कर्नाटक में पिछले 10 दिनों में “ऑनर किलिंग” के कम से कम दो मामले दर्ज किए गए हैं।

दलितों के खिलाफ बढ़ता अपराध

विजयपुरा जिले के देवरा हिप्परागी तालुक के सलादहल्ली गांव में 24 जून को दलित समुदाय के एक लड़के और एक मुस्लिम लड़की की पत्थरों से कुचलकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में लड़की के परिवार वालों का हाथ था।

बेंगलुरू के कोप्पल जिले के बारागुर गांव में मडिगा समुदाय के एक लड़के की लड़की के परिवार ने 22 जून को हत्या कर दी थी। इस हत्या के दौरान क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं गईं थी।

जिला कोप्पल के येलबुर्गा तालुक गांव में 6 जून को दो नाइयों से संपर्क करने पर दलित समुदाय के दो भाइयों के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार और अपमान का मामला सामने आया था।

पुलिस ने एक युवक को 10 मई को गिरफ्तार किया था। युवक पर आरोप था कि वह एक जोड़े के बीच वैवाहिक कलह के लिए जिम्मेदार है। पुलिस ने लॉकअप में उसकी पिटाई की जब उसने पानी मांगा तो पेशाब कर पीने के लिए मजबूर किया।

घटनाओं में शामिल होता है अधिकारियों का नाम 

यहां कुछ मामले तो ऐसे होते हैं जो ना सामने आते हैं, ना ही उनकी कोई रिपोर्ट दर्ज होती है, जो मामले दर्ज होते हैं तो उनमें दोषियों को सजा मिलने की दर कम होती है, क्योंकि जिन अधिकारियों का कर्तव्य ऐसी प्रथाओं को रोकना होता है अक्सर उनका ही नाम ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों में शामिल होता है।

दोषियों को कर दिया जाता है बरी

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 87 हत्याएं, 216 शोषण, 3 आग और 2,024 अन्य वारदातें हुई हैं। सरकार ने इन अपराधों के मुआवजे के तौर पर ₹284 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। 2019 में एससी / एसटी समुदायों के खिलाफ अपराधों और अत्याचारों के लिए 2,945 आरोपपत्र दर्ज हुए, जिसमें से 2,775 लोगों को गिरफ्तार किया गया और केवल 50 को दोषी ठहराया गया जबकि 1,513 को बरी कर दिया गया। ये आंकड़े जमीनी हकीकत बयां करने के लिए काफी हैं।

बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का स्टिकर देख दलितों को पीटा

इस तरह की वारदातों पर कोप्पल जिले के दलित कार्यकर्ता सना हनुमंथा कहते हैं कि दलित समुदाय के लोग डर की वजह से होटलों, मंदिरों और यहां तक ​​कि गांवों के अंदर भी प्रवेश करने से मना करते हैं। उच्च वर्ग के सदस्यों ने एक होटल में चाय पीकर आ रहे दो दलित लड़कों पकड़कर मारा क्योंकि उनके मोटरबाइक पर डॉ बीआर अंबेडकर का स्टिकर था। जाति-आधारित भेदभाव और पूर्वाग्रह ग्रामीणों के जीवन का हिस्सा बन चुका है, इसी कारण से लोग पलायन करने को मजबूर हैं।

दलित समुदाय के सदस्य 19 जुलाई को कोप्पल में भेदभाव की बढ़ती घटनाओं को उजागर करने के लिए जिला मुख्यालय तक मार्च निकालेंगे।

(ये खबर Hindustan Times की खबर पर आधारित है)

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