BSP अध्यक्ष मायावती ने सरकारी बैंको के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है। मायावती ने सरकारी बैंकों को बेचने की मोदी सरकार की नीति की कड़ी आलोचना करते हुए मांग की है कि सरकार इस फैसले को वापस ले।
निजीकरण में व्यस्त है भाजपा – मायावती
मायावती ने अपने पहले ट्वीट में लिखा ‘बीएसपी गरीब मेहनतकश जनता का दुख-दर्द समझती है। इसीलिए पूंजीपतियों के धन में विकास के बजाय देश की पूंजी में विकास चाहती है ताकि आमजन व देश का भला हो सके। इसी क्रम में सरकारी बैंकों के निजीकरण की समर्थक नहीं, जबकि भाजपा जल्दबाजी करके निजीकरण में ही व्यस्त, यह अति-दुखद।’
1. बीएसपी गरीब मेहनतकश जनता का दुख-दर्द समझती है। इसीलिए पूंजीपतियों के धन में विकास के बजाय देश की पूंजी में विकास चाहती है ताकि आमजन व देश का भला हो सके। इसी क्रम में सरकारी बैंकों के निजीकरण की समर्थक नहीं, जबकि भाजपा जल्दबाजी करके निजीकरण में ही व्यस्त, यह अति-दुखद।
— Mayawati (@Mayawati) December 18, 2021
किसानों आंदोलन की तरह प्रेरणादायी – मायावती
मायावती ने अपने अगले ट्वीट में लिखा ‘बैंकों के निजीकरण के विरुद्ध 9 लाख बैंक कर्मचारियों द्वारा अपनी वेतन कटवा कर भी 16-17 दिसम्बर को की गई दो दिन की देशव्यापी हड़ताल, किसानों के आन्दोलन की तरह, जुझारू व प्रेरणादायी। सभी को अपने हक के लिए संघर्ष करना होगा। सरकार बैंक निजीकरण पर पुनर्विचार करे, बीएसपी की माँग।’
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल मोदी सरकार कई सरकारी बैंकों को प्राइवेट करने की तैयारी में है। फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। मोदी सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को पास कराना चाहती है जिसे लेकर बैंकिंग सेक्टर की ओर से जबरदस्त विरोध हो रहा है।