1919 के गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट में एक प्रावधान था कि हर 10 साल में भारत में संवैधानिक प्रगति की समीक्षा की जाएगी। इसी समीक्षा के लिए 1928 में साइमन कमीशन बनाया गया था जिसका काम भारत में संवैधानिक प्रगति देखना था। लेकिन साइमन कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, उस समय सेक्रेटरी ऑफ स्टेट लॉर्ड बिकनहेड ने इसे एक पार्लियामेंटरी कमेटी कहकर किसी भी भारतीय को सदस्य नहीं बनाया। कांग्रेस ने साइमन कमीशन का कड़ा विरोध किया और साइमन कमीशन को भारतीयों के अपमान के तौर पर देखा गया। विरोध बढ़ा तो अंग्रेज़ी सरकार को एक घोषणा करनी पड़ी कि कमीशन के काम पूरा करने के बाद गोलमेज़ सम्मेलन का होगा और लंदन में सब मिलकर रिपोर्ट पर चर्चा करेंगे।
डॉ आंबेडकर ने साइमन कमीशन के सामने अछूतों का पक्ष रखा और कमीशन को अछूतों की समस्या बताईं। डॉ आंबेडकर ने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की ओर से लिखित ज्ञापन दिया। डॉ आंबेडकर ने अछूतों के लिए आरक्षण की माँग की लेकिन डॉ आंबेडकर ने यहाँ पृथक निर्वाचन की माँग नहीं की थी। क्या है ये पूरी कहानी, आंबेडकरनामा के सातवें एपिसोड में जानिए प्रो रतन लाल के साथ।
वीडियो देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।